मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित दंदरौआ धाम के डॉ. हनुमान मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा, क्योंकि इस मंदिर में हनुमान जी डॉ. के स्वरूप में विराजमान है. मान्यता है कि यहां विराजमान हनुमानजी डॉक्टर के रूप में बीमार लोगों का इलाज करते हैं. लेकिन आप जानते है कि इस मंदिर में विराजमान हनुमानजी का नाम डॉ. हनुमान कैसे पड़ा. इस मिस्ट्री को लेकर बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने एक प्रवचन में बताया था.
मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के प्रसिद्ध बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने एक प्रवचन के दौरान डॉ. हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी के सामने बताया कि दुनिया की पहली एंडोस्कोपी हनुमानजी ने ही की थी और पेट की जांच भी हनुमान जी ने की थी. जितने भी डॉक्टर यहां बैठे हैं वह सब नोट कर लें. उन्होंने कहा कि संसार की पहली एंडोस्कोपी सुरसा नाम की राक्षसी की थी. यह बात रामायण काल के समय की है जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका जा रहे थे, तब बीच सागर में सुरसा नाम की राक्षसी ने हनुमान जी का रास्ता रोक लिया था और अपने पेट के अंदर जाने के लिए कहा था. तब हनुमान जी ने अपना शरीर काफी छोटा कर लिया था और वे उसके पेट के अंदर चले गए और तुरंत ही बाहर वापस आ गए थे.
बागेश्वर बाबा ने प्रवचन के दौरान बताया कि हनुमान जी ने सुरसा राक्षसी के पेट की जांच की थी और सारे शरीर कि जांच कर वे बाहर आए थे. बाबा ने कहा कि अगर कोई बहुत बड़ा है तो आप उसके सामने छोटे बन जाओ, क्योंकि छोटे बनने में कोई बुरी बात नहीं है, क्योंकि कभी कभी अपने शत्रु से जीतने के लिए छोटा बनना पड़ता है और इसे दुश्मन अपने आप ही भाग जाएगा.
मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान हनुमानजी डॉक्टर स्वरूप में हैं, इसलिए यहां बीमार लोगों को लाया जाता है और भभूति लगाई जाती है. भक्तों की आस्था हैं कि हनुमान जी भक्त पर पूरी कृपा बरसाते हैं. इसलिए इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है.