लंदन l मार्लिन लुआंडा नाम का कमर्शियल शिप लाल सागर में हजारों टन तेल लेकर अपनी मंजिल की ओर जा रहा था. तभी उस पर एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल से हमला हुआ, जिससे एक कार्गो टैंक में आग लगा दी, जिससे 5 मीटर से अधिक ऊंची लपटें उठने लगीं और एक बड़ा आग का खतरा पैदा हो गया. ऐसा लग रहा था जहाज के साथ उसमें सवार सभी समंदर में ही दफ्न हो जाएंगे. तारीख थी 26 जनवरी… जहाज में 84,147 टन तेल जा रहा था, जिसने खतरे को और बढ़ा दिया. शिप क्रू ने मदद के लिए सिग्नल भेजा, लेकिन वहां आसपास कोई दूसरा ऐसा नहीं था,जो उनकी मदद करता.
फिर क्या था. कैप्टन अभिलाष रावत और उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और हद से ज्यादा खतरा और लगातार हमलों की आशंका के बावजूद उनलोगों ने फिक्स्ड फोम मॉनिटर्स और पोर्टेबल होसेस का इस्तेमाल करके आग को बुझाने के लिए कूद पड़े. 4 घंटे से ज्यादा समय तक मेहनत के बाद आग बुझा दी गई. चार घंटे से अधिक समय तक अपनी मेहनत से आग बुझाने के बाद, उन्हें मर्चेंट टैंकर अचिलीस से मदद मिली. इसके बाद फ्रांसीसी फ्रिगेट एफएस अलसास और अमेरिकी फ्रिगेट यूएसएस कार्नी वहां पहुंचे और फिर एडिशनल फायरफाइटिंग मदद मुहैया कराई. जल्द ही भारतीय वॉरशिप आईएनएस विशाखापत्तनम भी वहां पहुंच गया.
इंडियन नेवी के प्रोफेशनली ट्रेंड फायरफाइटर्स जहाज पर चढ़े और अपने बेहतर इक्विमेंट्स और कोशिशों के कारण आग के करीब पहुंचने में कामयाब रहे. फिर मार्लिन लुआंडा क्रू मेंबर्स के साथ मिलकर, अंततः आग बुझाने में सफल रहे. कैप्टन अभिलाष रावत की इसी बहादुरी को देखते हुए उन्हें 2024 इंडियन मैरीटाइम ऑर्गेनाइजेशन (आईएमओ) पुरस्कार मिला है.
लंदन स्थित आईएमओ हेडक्वॉर्टर में एक अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान, रावत ने ऑयल टैंकर मार्लिन के अपनी टीम की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया. कैप्टन रावत और क्रू की उनके “दृढ़ संकल्प और सहनशक्ति” के लिए तारीफ की गई. इसके साथ ही, कैप्टन ब्रिजेश नांबियार और भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम के क्रू मेंबर को संकट के दौरान मार्लिन लुआंडा की मदद करने के लिए “प्रशस्ति पत्र” से सम्मानित किया गया. मार्लिन लुआंडा पर हूती विद्रोहियों के मिसाइल हमले की घटना अदन से 60 समुद्री मील दक्षिण-पूर्व में हुई थी.