देश -विदेश l अमेरिका और ईरान के बीच एक नए न्यूक्लियर डील को लेकर बातचीत शुरू हो गई है. इस बीच अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा है कि अगर तेहरान को वाशिंगटन के साथ कोई डील करनी है तो अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम (न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्रोग्राम) को “रोकना और समाप्त करना होगा”. इस तरह ईरान के अधिकारियों के साथ वार्ता के एक और दौर से पहले अमेरिका ने अपने मांगों का स्तर बढ़ा दिया है.

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अपने अगले कदम को फूंक-फूंककर रख रहे हैं. ट्रंप अपनी मर्जी का डील करना चाहते हैं, चाहे उसके लिए कोई भी रणनीति अपनानी पड़े. वार्ता विफल होने की स्थिति में, ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने सैन्य योजनाओं को बैकअप के रूप में रखा है. वाशिंगटन ने इस क्षेत्र में दूसरा विमानवाहक पोत उतार दिया है.
विटकॉफ अपनी बात से पलट रहे हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि अगर ईरान सिर्फ ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी निम्न स्तर तक अपने यूरेनियम का संवर्धन करे (न्यूक्लियर एनरिच करे) तो अमेरिका संतुष्ट होगा.
वैसे तो विटकॉफ मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें इसके अलावा कई उच्च-स्तर की जिम्मेदारियां दी हैं. इसमें रूस के साथ-साथ ईरान के साथ वार्ता का नेतृत्व करना भी शामिल है.
अमेरिका ने बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान ने साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर एक डील पर साइन किया था, जिसे ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान के रूप में जाना जाता है. उस डील के अनुसार ईरान को अपनी यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों पर रोक लगानी थी और बदले में उसे अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत मिली थी. लेकिन ट्रंप ने 2018 में अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ईरान के साथ ऐसे डील से हाथ खींच लिया था. ट्रंप ने डील खारीज करके “अधिकतम दबाव” की नीति का सहारा लिया जिसने आर्थिक प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया.