टेक्नोलॉजी l इन दिनों ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और पॉलिटिक्स के बीच हलचल मचा दी है. जहां अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप Apple पर दबाव बना रहे हैं कि वह अपने iPhone अमेरिका में बनाए, वहीं भारत यह साफ कर चुका है कि वह इस काम के लिए दुनिया का सबसे सस्ता और व्यवहारिक विकल्प है.
नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने हाल ही में कहा कि भारत Apple के लिए एक “किफायती और मुनाफे वाला मैन्युफैक्चरिंग हब” बन सकता है. उनका कहना था कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए भारत जैसे देश ही iPhone बनाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं.

Apple की मैन्युफैक्चरिंग रणनीति लंबे समय से एशिया-केंद्रित रही है—खासकर चीन में. यहां सस्ते श्रम, बेहतरीन सप्लाई चेन और हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से iPhones का निर्माण लागत प्रभावी रहा है. लेकिन 2018 के बाद से बहुत कुछ बदल गया. अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुए व्यापार युद्ध, कोविड-19 महामारी, और चीन पर बढ़ते वैश्विक अविश्वास ने Apple को विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया. यही वजह है कि भारत Apple की नजर में आया. यहां न सिर्फ मज़बूत उत्पादन क्षमता है, बल्कि सरकार की मेक इन इंडिया और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) जैसी योजनाएं विदेशी कंपनियों के लिए आकर्षण बनी हैं.