छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का एक छोटा-सा गांव कौड़ीकसा आज एक बड़े सवाल के केंद्र में है—क्या 2500 लोगों की ज़िंदगी अब भी 20 साल पुराने फिल्टर प्लांट के भरोसे है?

राज्य के हाई कोर्ट ने इस संवेदनशील मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनस्वास्थ्य से जुड़ी लापरवाही को गंभीरता से लिया है। कोर्ट की वेकेशन बेंच ने सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर गांव की स्थिति की जमीनी सच्चाई सामने लाने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट को मिली रिपोर्टों में कहा गया है कि कौड़ीकसा गांव में पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा लंबे समय तक ज्यादा रही है, जिससे यहां चर्म (Chhattisgarh High Court Action)रोग, अंगों में सूजन, और अन्य गंभीर बीमारियों के मामले सामने आए हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने शपथपत्र में कहा कि 20 साल पहले ही फिल्टर प्लांट लगा दिया गया था और अब पानी में कोई समस्या नहीं है। लेकिन कोर्ट ने यह तर्क मानने से इनकार करते हुए कहा कि सिर्फ कागजी दावों से लोगों की जान की कीमत तय नहीं हो सकती।