भोपाल l बदलती दुनिया और डिजिटल का जमाना तो वहीं दूसरी तरफ पेड़ों की कटाई से पर्यावरण दूषित होता दिखाई दे रहा है । मध्य प्रदेश की राजधानी समेत पूरे प्रदेश में कई जगह पेड़ों की कटाई के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और ऐसे में पर्यावरण दूषित होता तो इसका असर मानव जीवन के अलावा और भी जीव जंतुओं पर पड़ेगा। मगर सरकार के मंत्री यह कह रहे हैं कि कहीं कोई पेड़ों की कटाई नहीं हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण प्रेमी और आम जनता पेड़ों की कटाई से परेशान है और आंदोलन करने पर मजबूर हो रहे हैं। तो दूसरी तरफ विपक्ष सरकार को इस मामले में कटघरे में खड़ा कर रहा है।

पर्यावरण को संरक्षण करने के लिए सरकार लगातार काम करती है ऐसा नहीं की प्रदेश सरकार करती हो इसके लिए केंद्र सरकार भी लगातार काम करती है और प्रदेश सरकार के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए अनुदान भी देती है । मगर बदलती दुनिया में जहां उपभोग करने वाली अनेक चीजों को आज बढ़ावा दिया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पेड़ों की कटाई भी लगातार देखने को मिल रही है। उदाहरण के तौर पर आज हम बात करते हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अयोध्या बाईपास पर सिक्स लाइन का काम किया जा रहा है और इसी को देखते हुए करीबन 8 हजार पेड़ों की कटाई की जानी है जैसे ही पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया तो आस पास के रहवासी और पर्यावरण प्रेमियों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया। उनका कहना है कि पेड़ों की कटाई से हमारा जीवन और भी मुश्किल में पहुंच जाएगा।
इधर दूसरी तरफ भोपाल से लगे कालिया सोत इलाके के जंगल में भी लगातार पेड़ों की कटाई चल रही है और इसके लिए लगातार जो पर्यावरण प्रेमी हैं और समाज सेवक वह वन विभाग के लिए भी शिकायत कर रहे हैं, मगर वन विभाग के कान पर जू तक नहीं रेंगता दिखाई दे रहा है । अब सवाल यह उठता है कि अगर ऐसे ही लगातार पेड़ों की कटाई होती रही तो आगे चलकर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाने वाला है जिससे मानव जीवन मुश्किल में पड़ता दिखाई देगा।
सरकार जहां पौधों को लगाने के लिए लगातार अभियान चलाती है और पौधे लगाए भी जाते हैं मगर उन पौधों का आगे चलकर क्या होता है यह तो हम और आप सब जानते हैं। हजारों लाखों पौधे नर्मदा नदी के किनारे भी लगाए गए मगर उन पौधों का क्या हुआ यह किसी से छिपा नहीं है। वही भोपाल में भी पौधे लगाने का लगातार अभियान जारी रहता है। कुछ समय पहले शिवपुरी दौरे पर गए ग्रामीण पंचायत मंत्री पहलाद पटेल से वहां के जनपद सीईओ ने पौधे लगाने के लिए एक प्रपोजल सामने रखा था, हालांकि गर्मी का वक्त था इस वजह से मंत्री पहलाद पटेल नाराज हो गए और उन्होंने सीईओ को खरी खोटी सुना दी यह बात हम भी जानते हैं की गर्मी के वक्त में पौधे लगाना इतना उचित नहीं है जितना सही वारिस के वक्त में ठीक रहता है क्योंकि गर्मी के वक्त में अगर आप पौधे लगाते हैं तो उनके संरक्षण के लिए आपको काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि बाद में जनपद सीईओ पर कार्रवाई हो गई और उन्हें निलंबित भी कर दिया गया।
सरकार की मंत्री कृष्णा गौर का कहना है कि पेड़ों की कटाई नहीं की जा रही है और कहीं की भी जा रही है तो उससे अधिक पौधे लगाए भी जाएंगे पर्यावरण को कहीं दूषित नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन मजे की बात तो ये है की मंत्री विश्वास सारंग ने तो साफ कह दिया कि कहीं कोई पेड़ों की कटाई नहीं हो रही है। अब अगर पेड़ों की कटाई नहीं हो रही है तो फिर लोग क्या बेवजाह चिपको आंदोलन कर रहे हैं या फिर कलियासोत जंगल इलाके में जो पेड़ों की कटाई हो रही है उसकी तस्वीर क्या झूठ बोल रही हैं। इसके पहले स्मार्ट सिटी का भी काम भोपाल में किया गया जिसमें सैकड़ो पेड़ो की बलि चढ़ गई स्मार्ट सिटी के नाम पर और आखिर में क्या हुआ कुछ भी नहीं।
इधर पेड़ों की कटाई से विपक्ष भी लगातार सवाल खड़े कर रहा है नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस पर नाराजगी जाहिर की है और उन्होंने पेड़ों की कटाई को लेकर सरकार को और सिस्टम को कटघरे में खड़ा किया है।
हालांकि मामला जो भी हो मगर देखने में यह आ रहा है की स्मार्ट सिटी के नाम पर और सड़कों की चौड़ीकरण के नाम पर हजारों पेड़ों को काटा जा रहा है और ऐसे में पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा दिखाई दे रहा है। भोपाल से जीएस ठाकुर की रिपोर्ट ।