किसी को ओटीपी मिलता है तो किसी को नहीं, घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौट
बलरामपुर 476 ग्राम पंचायत के आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्रो के ग्रामीण की राशन दुकानों में सरकार द्वारा शुरू किया गया ओटीपी सिस्टम लोगों के लिए मुसीबत बताया जा रहा है। सरकार ने पारदर्शिता लाने और राशन वितरण प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से यह व्यवस्था शुरू की थी, लेकिन जमीनी स्तर पर यह योजना कई हितग्राही के लिए परेशानी कारण बन गई है।

लोगों का कहना है कि किसी के मोबाइल पर ओटीपी आता है तो किसी के पास घंटों इंतजार के बाद भी ओटीपी नहीं पहुंचता। कई बार नेटवर्क समस्या या तकनीकी खराबी के कारण जरूरतमंद लोग को राशन से वंचित हो रहे है.

क्या कहते हैं ग्रामीण लोग:
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने बताया कि सुबह आते है साम ताक सिस्टम या ओ.टी.पी. के कारण राशन ले कर घर पहुंचते हैं तब तक बच्चे भूखे बैठे रहते हैं।”वहीं एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, “मोबाइल चलाना नहीं आता, ओटीपी कैसे देखें? बेटा बाहर काम करता है, अब राशन कैसे लें?”
दुकानदारों की भी परेशानी:
राशन विक्रेताओं का कहना है कि “सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा। ओटीपी न आने पर हम चाहकर भी राशन नहीं दे सकते। कई बार राशन कार्ड धारी हम पर ही गुस्सा करते हैं।”
प्रशासन से मांग:
लोगों ने जिला प्रशासन और खाद्य आपूर्ति विभाग से मांग की है कि सिस्टम को दुरुस्त किया जाए,बायोमेट्रिक और ओटीपी दोनों विकल्प रखे जाएं,और जरूरतमंदों को बिना परेशानी राशन दिलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था लागू की जाए।
डिजिटल व्यवस्था बेहतर पारदर्शिता के लिए जरूरी है, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण आम जनता को राशन जैसी जरूरी सुविधा से वंचित करना उचित नहीं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस दिशा में कितनी जल्दी समाधान निकालता है।