भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों में रखे गए धन को लेकर वर्षों से बहस चलती रही है, लेकिन 2024 में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। भारतीय नागरिकों और कंपनियों द्वारा जमा धन में साल भर में तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है — क्या यह निवेश है, व्यवस्था से अविश्वास, या वैश्विक कर व्यवस्था का नया दौर?

2023 में जहाँ यह रकम लगभग ₹11,000 करोड़ (1.04 अरब फ्रैंक) थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर ₹37,600 करोड़ (3.5 अरब फ्रैंक) पहुंच गई। यह वृद्धि सिर्फ ग्राहकों के व्यक्तिगत खाते नहीं, बल्कि संस्थागत ट्रांजैक्शन, बैंकिंग नेटवर्क और ट्रस्टों के माध्यम से भी हुई है।
क्या वाकई ‘काला धन’? नहीं… पर बहस जरूर है
इन आंकड़ों में काले धन का कोई सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन जमा की मात्रा में अचानक उछाल कई तरह के सवाल जरूर खड़े करता है। यह साफ है कि ये पैसे ‘काले’ नहीं माने गए, लेकिन ‘उद्भव स्रोत’ को लेकर पारदर्शिता अब भी एक चुनौती है।