कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित अक्सिओम‑4 मिशन आज अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंच रहा है – यह भारत के लिए गर्व का क्षण है।
मिशन परिचय और लॉन्च
- Axiom‑4 मिशन एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है जिसमें Axiom Space, NASA, SpaceX, और ISRO शामिल हैं ।
- क्रू में शामिल हैं:

- Peggy Whitson (कमांडर, USA)
- Group Captain Shubhanshu Shukla (पायलट, भारत)
- Mission Specialists: Sławosz Uznański-Wiśniewski (पोलैंड), Tibor Kapu (हंगरी) ndtv.com+14en.wikipedia.org+14timesofindia.indiatimes.com+14।
- शुरुआत में मिशन कई बार मना किया गया (मौसम, तकनीकी मुद्दे) लेकिन आखिरकार 25 जून 2025 को, Florida के Kennedy Space Center से SpaceX Falcon 9 रॉकेट पर Dragon स्पेसक्राफ्ट के साथ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ ।
🌐 2. भारत के लिए ऐतिहासिक विजय
- Group Captain Shubhanshu Shukla, 41 वर्षों में पहला भारतीय, अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा समय बिताने वाली अमेरिकी महिला किंवदंती Peggy Whitson के नेतृत्व में ISS के लिए रवाना हुए ।
- ISS तक पहुँचते ही उन्होंने कहा: “Namaskar from space… Learning like a baby… this is a small step, but a steady and solid step towards India’s human space programme.”
- उन्होंने वीडियो मैसेज में तिरंगे को कंधे पर ले जाते हुए गर्व से कहा: “Right now, we are orbiting Earth at 7.5 km per second… on my shoulder I carry our tricolour flag, which shows that I am with all of you.”
- प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति मुरमू, और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह सहित शीर्ष नेतृत्व ने इस मिशन को बधाई दी ।
📅 3. डॉकिंग और मिशन का कालखंड
- Dragon कैप्सूल का ISS से डॉकिंग नहीं, लेकिन अब वह 26 जून 2025 दोपहर 4:30 बजे IST तक ISS से जुड़ने की गतिविधि कर रहा है ।
- पूरी मिशन अवधि लगभग 14 दिन की रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है ।
🔬 4. वैज्ञानिक और तकनीकी पहलें
- शुक्ला ISS पर कई सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों में भाग लेंगे, जिनमें शामिल हैं:
- माइक्रोग्रैविटी में microalgae का अध्ययन (ICGEB & NIPGR)
- मानसिक प्रतिक्रिया, मस्कुलर अट्रोफी, कृषि अभिरक्षकता जैसे अध्ययन
- यह मिशन भारत के आगामी ‘Gaganyaan’ मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को समर्थन देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत करेगा।
🎖️ 5. व्यापक प्रभाव और भविष्य
- भारत के लिए यह मिसाल प्रदान करता है—पहले तो Rakesh Sharma (1984) और अब Shukla — जिससे भारत की मानव अंतरिक्ष क्षमता पर विश्वास और मजबूती आई है ।
- यह आधार तैयार करता है आगामी Gaganyaan मिशन (2027) और लूनर अभियानों के लिए ।