🔴 23 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
इनामी राशि: कुल ₹1 करोड़ 18 लाख
स्थान: बस्तर संभाग, छत्तीसगढ़
समर्पण कार्यक्रम: पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष औपचारिक रूप से किया गया
👥 कौन-कौन थे ये नक्सली?
- इनमें से 6 नक्सली पर ₹10 लाख या उससे अधिक का इनाम था
- शेष पर ₹1 लाख से ₹5 लाख तक का इनाम घोषित था
- आत्मसमर्पण करने वालों में कई DVCM (डिवीजनल कमांडर), ACM (एरिया कमांडर) और सक्रिय सदस्य शामिल थे
- ये सभी लंबे समय से सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों में सक्रिय थे

🔫 आत्मसमर्पण की वजहें
- भटकी हुई जिंदगी का अंत चाहते थे – कई नक्सलियों ने कबूल किया कि वे लगातार भागते रहने और जंगलों में जीवन से परेशान हो चुके थे
- बस्तर सरकार की पुनर्वास नीति – आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को:
- नकद प्रोत्साहन राशि
- पुनर्वास की सुविधा (रोज़गार/आवास)
- सामाजिक पुनर्स्थापन योजना का लाभ मिलेगा
- ‘लोन वर्राटू अभियान’ की भूमिका – ये अभियान नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए चलाया गया है
🗣️ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान
“थम रही हैं बंदूकें, बदल रहा है बस्तर…”
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक कदम बताया और कहा:
🔸 “यह प्रमाण है कि सरकार की नीति और जनता का सहयोग रंग ला रहा है।”
🔸 “अब बस्तर शिक्षा, विकास और शांति की राह पर आगे बढ़ रहा है।”
🔸 “नए बस्तर की तस्वीर वो है जिसमें बंदूक नहीं, किताबें और रोज़गार होंगे।”
🔄 क्या बदलेगा अब?
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भरोसा बढ़ेगा
- गांवों में विकास योजनाओं को गति मिलेगी
- युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी और नई पीढ़ी हिंसा की राह छोड़कर शिक्षा और तकनीक की ओर अग्रसर होगी
📌 निष्कर्ष:
यह आत्मसमर्पण न केवल एक सुरक्षा सफलता है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का संकेत भी है। बस्तर के हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं—अब बंदूक की जगह शांति और विकास की बात हो रही है।