रायपुर l छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) पर एक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य नवीन शिक्षा नीति के उद्देश्यों, संरचना, और मीडिया शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों पर व्यापक चर्चा करना था।

🏛️ आयोजन का उद्देश्य:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विश्वविद्यालय और जनसंचार पाठ्यक्रमों में किस प्रकार प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, इस पर विचार करना।
- मीडिया और जनसंचार शिक्षा में चौतरफा सुधार, कौशल उन्मुखता और मूल्य आधारित शिक्षा को कैसे बढ़ावा दिया जाए।
- शिक्षकों, विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को NEP 2020 की समझ और तैयारियों से जोड़ना।
🔶 मुख्य अतिथियों और वक्ताओं की उपस्थिति:
- कुलपति प्रो. बलदेव भारद्वाज ने उद्घाटन भाषण दिया और शिक्षा नीति के मूलभूत परिवर्तनकारी पहलुओं को रेखांकित किया।
- राज्य उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, विषय विशेषज्ञों, मीडिया शिक्षकों और छात्र प्रतिनिधियों ने विचार साझा किए।
- वक्ताओं ने नीति के तहत बहु-विषयकता, लचीलापन, क्रेडिट ट्रांसफर सिस्टम, नई मूल्यांकन प्रणाली और मातृभाषा में शिक्षा पर विशेष बल दिया।
📚 चर्चित विषय:
- जनसंचार पाठ्यक्रमों में मल्टी-डिसिप्लिनरी अप्रोच
– पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया, जनसंपर्क और फिल्म अध्ययन को एकीकृत करने के उपायों पर विचार। - इंटरनशिप और स्किल-बेस्ड लर्निंग का समावेश
– छात्रों को इंडस्ट्री के लिए तैयार करने हेतु रियल-टाइम प्रोजेक्ट्स और इंटर्नशिप की अनिवार्यता पर बल। - क्रेडिट आधारित चार-वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP)
– NEP के तहत छात्रों को शोध, रोजगार और नवाचार के लिए अलग-अलग ट्रैक चुनने का विकल्प। - डिजिटल मीडिया और एआई का एकीकरण
– जनसंचार में AI, Data Journalism और Digital Ethics जैसे नए विषयों की संभावनाओं पर चर्चा।
🧠 प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया:
- छात्रों ने NEP को सीखने की स्वतंत्रता, विविधता और करियर-फोकस देने वाला बताया।
- शिक्षकों ने कहा कि इससे शिक्षण प्रक्रिया में नवाचार और शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा।
- कुछ प्रतिभागियों ने इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षक प्रशिक्षण की जरूरतों की भी ओर ध्यान आकर्षित किया।
📝 निष्कर्ष एवं प्रस्ताव:
- कार्यशाला के अंत में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि विश्वविद्यालय स्तर पर एक “NEP कार्यान्वयन टास्क फोर्स” गठित की जाए।
- पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण के लिए एकेडमिक बोर्ड से सिफारिशें ली जाएंगी।
- छात्र हित में क्रेडिट बैंक, फ्लेक्सिबल कोर्स सिलेक्शन और मूल्यांकन सुधारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
✅ निष्कर्ष:
यह कार्यशाला न केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को थ्योरी से प्रैक्टिस में बदलने की दिशा में एक सशक्त प्रयास था, बल्कि यह छत्तीसगढ़ में मीडिया शिक्षा के भविष्य को दिशा देने वाला मंच भी साबित हुआ।