घटना का संक्षिप्त इतिहास
- 11 जुलाई, 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में सात सिलसिलेवार बम ब्लास्ट हुए, जिसमें 189 लोग मारे गए और लगभग 800 घायल हुए थे।
- 2015 में MCOCA विशेष अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया — पांच को मृत्युदंड, सात को आजीवन कारावास दिया गया था ।
🏛️ बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
- 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे HC ने 12 आरोपियों को पूरी तरह बरी कर दिया।
- फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि “अभियोजन आरोप सिद्ध करने में विफल रहा,” “पूछताछ दोषपूर्ण थी,” और “जांच में कई प्रक्रियागत खामियाँ थीं”।
- इसके बाद 9 आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया, जबकि कुछ आरोपी अन्य मामलों में अभी भी जेल में बने हुए हैं
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
- 24 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने वह हाईकोर्ट निर्णय रोक दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि यह निर्णय किसी अन्य मामले में मिसाल नहीं माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी 12 अभियुक्तों को नोटिस जारी किया और मांगा गया कि वे चार हफ्ते में जवाब दें
- हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अभी उन्हें पुनः जेल भेजने का आदेश नहीं दे रहा, क्योंकि वे पहले ही रिहा हो चुके हैं ।

📜 कानूनी तर्क और प्रभाव
पहलू | विवरण |
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⚖️ रोक का आधार | महाराष्ट्र सरकार का दावा कि HC के निष्कर्ष MCOCA के तहत अन्य मामले को प्रभावित कर सकते हैं |
📌 प्रिसीडेंट का रद्द | सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय कोई मिसाल (precedent) नहीं बने |
👤 अभियुक्तों का भविष्य | अभी कोई पुन: जेल आदेश नहीं, लेकिन जांच प्रक्रिया जारी रहेगी, और चार हफ़्ते के भीतर जवाब मांगा गया |
अगली संभावित घटनाएँ
- सभी अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना होगा, संभवतः अगली सुनवाई 4 सप्ताह में होगी।
- सुप्रीम कोर्ट यदि HC के निर्णय को पूरी तरह उलट दे, तो अभियुक्तों को दोबारा जेल भेजा जा सकता है; लेकिन अगर सुधारात्मक आदेश दिए गए तब भी निर्णय का कानूनी प्रभाव सीमित रहेगा।
- यह मामला MCOCA जांच प्रक्रियाओं और सुनवाई की गुणवत्ता को लेकर न्यायपालिका और अभियोजन एजेंसियों में एक नया बहस पैदा करेगा।
✅ निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे HC के विवादित फैसला—12 आरोपियों की रिहाई को—मामूली रूप से रोका है, ताकि उस निर्णय का प्रभाव अन्य MCOCA मामलों पर ना पड़े। फिलहाल अभियुक्त जेल लौटेंगे नहीं, लेकिन अब उन्हें सख्त कानूनी जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा।