- पहले धार्मिक हस्तांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार केरल की दो ननों को जमानत नहीं मिली, वहीं अब पीड़िता ने दावा किया कि उसे जालसाज़ी से झूठा बयान देना पड़ गया था, जिससे इस पूरे मामले की जांच पर सवाल खड़ा हुआ है.

1. गिरफ्तारी का सिलसिला — क्या हुआ था?
- दिनांक: 25 जुलाई 2025, दुर्ग रेलवे स्टेशन पर
- गिरफ्तारियां:
- केरल की दो कैथोलिक नन — सिस्टर प्रीति मैरी (45) और सिस्टर वंदना फ्रांसिस (50)
- साथ ही एक युवक, सुकमन मंडवी (19) — एनआर, नारायणपुर जिला निवासी
- आरोप:
- मानव तस्करी (तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा ले जाने का आरोप)
- धर्मांतरण करवाने का प्रयास (Chhattisgarh Religious Freedom Act के तहत)
- शिकायतकर्ता: स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ता की शिकायत पर बनाई गई FIR
- केस संख्या: 60/2025, IPC धारा 143(3) तथा धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत पंजीकृत।
👪 2. अब आया नया गठिया मोड़ — पीड़िता का बयान
- अब उस महिला पीड़िता ने दावा किया है कि उस पर झूठा बयान देने के लिए दबाव डाला गया था। उसने बताया कि बजरंग दल से संबंध रखने वाले लोगों ने धमकियों व डर के ज़रिए उसका बयान बदला
- रिक्शाचालक ने यह भी कहा कि उसने ननों और महिला पीड़िता के बीच कोई वार्तालाप नहीं सुनी, जिससे आरोपों की वैधता पर प्रश्न उठता है
- इस तरह उस बयान की विश्वसनीयता पर संदेह जताया गया है
🧏♀️ 3. पारिवारिक सुराग — सद्भाव से भेजा था
- आदिवासी लड़कियों के परिवारों ने स्पष्ट किया कि वो लड़कियां स्वेच्छा से ननों के साथ गई थीं, नौकरी के सिलसिले में — और कोई धर्मांतरण का आदेश या धमकी नहीं दी गई
- दोनों परिवारों ने परिवार consent statement पुलिस को 26 जुलाई को सौंपा
🗳️ 4. राजनैतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
- कांग्रेस नेताओं, जैसे राहुल गांधी व केसी वेणुगोपाल ने इसे अल्पसंख्यक उत्पीड़न करार दिया, बीजेपी पर आरोप लगाया कि यह पूरे मामले में धार्मिक पहचान के आधार पर कार्रवाई है
- केरल CM पिनारायी विजयन ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से भाजपा-आरएसएस द्वारा ईसाई समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश है
- BJP केरल इकाई और केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने दावा किया कि मामला एक Miscommunication या technical lapse था, न कि trafficking या conversion का
⚖️ 5. न्यायिक स्थिति
- दुर्ग स्थित सेशन्स कोर्ट ने दोनों ननों की जमानत अर्जी खारिज कर दी, क्योंकि यह मामला NIA कोर्ट (बिलासपुर) के अंतर्गत आता है
- इसलिए मामला अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट, बिलासपुर को भेजा गया है
📋 सारांश तालिका
पहलू | स्थिति |
---|---|
गिरफ्तार | सिस्टर प्रीति, सिस्टर वंदना, सुकमन मंडवी |
आरोप | मानव तस्करी, धर्मांतरण प्रयास |
पीड़िता का नया बयान | कथित रूप से दबाव एवं धमकी में दिया गया |
पारिवारिक पक्ष | लड़कियां स्वेच्छा से नौकरी के लिए गई थीं |
न्यायिक विकास | जमानत खारिज, मामला बिलासपुर NIA कोर्ट में स्थानांतरित |
राजनीतिक व सामाजिक प्रतिक्रिया | कांग्रेस-जमात संगठनों की ओर से तीखी आलोचना |
🧭 निष्कर्ष
यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि धार्मिक मामिलों में धार्मिक अधिकार, समय पर जांच और अनुमानित बयान विवेकपूर्ण हो सकते हैं। पीड़िता के बयान में कथित दबाव और पारिवारिक स्वतंत्र सहमति इस मामले में गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
फैसला केवल ननों की गिरफ्तारी की ही नहीं, बल्कि राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों की संवैधानिक रक्षा, धर्मांतरण कानून के दायरे और न्यायपालिका द्वारा नजर रखी गई निष्पक्ष जांच की मांग का भी खाका प्रस्तुत करता है।