पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित शराब घोटाले मामले में राहत के लिए वे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से संपर्क करें। कोर्ट ने उनके खिलाफ WITHDRAWAL नहीं, बल्कि उच्च न्यायालय से सहायता लेने को कहा।

⚖️ केस की पृष्ठभूमि
- Enforcement Directorate द्वारा July 2025 में ₹2,100 करोड़ के शराब घोटाले की जांच शुरू की गई; इसमें चैतन्य बघेल को धनशोधन (Money Laundering) के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने ₹16.7 करोड़ की नकदी shell कंपनियों और अंडर‑वैल्यूड रियल एस्टेट डील के माध्यम से फहराई थी
- इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप कई अन्य मामले—कोयला घोटाला, महादेव बेटिंग ऐप मामले, धान मिलिंग केस तथा DMF घोटाले—भी ED, CBI और EOW द्वारा जांच के दायरे में हैं ।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट का निर्देश (4 अगस्त 2025)
- 4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट (जस्टिस सूर्य-कांत व जज जॉयमाल्य बगची की बेंच) ने भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल से कहा कि वे अंतरिम राहत के लिए सीधे SC में न आएं, बल्कि पहले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपनी याचिका दाखिल करें।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एवं सप्लिमेंटरी चार्जशीटों में अचानक नाम जुड़ने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने हेतु आवश्यक है; इस प्रवृत्ति से साधारण लोगों को न्याय का अवसर प्रभावित हो रहा है (कहावत-सारांश: “जहां गरीब जाता है उस SC में जगह नहीं” जैसी टिप्पणी भी हुई) ।
📄 सुनवाई का विभाजन एवं याचिकाएँ
- चैतन्य बघेल की याचिका (PMLA अधिनियम की धारा 50 व 63 के खिलाफ चुनौती) खारिज नहीं की गई, कोर्ट ने कहा कि वे अलग से writ याचिका SC में पुनः दाखिल कर सकते हैं; परंतु कोर्ट ने सीधे interim relief देने से इंकार कर दिया और उन्हें हाईकोर्ट भेज दिया गया ।
- भूपेश बघेल के मामले में:
- एक याचिका withdrawn घोषित की गई (CBI/State Police मामलों में relief खोजने हेतु)।
- बाकी याचिका (PMLA की धारा 44, 50, 63 पर चुनौती) को पुनः सुनवाई हेतु August 6 पर सूचीबद्ध किया गया ।
📋 सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
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मुख्य आरोप | ₹2,100 करोड़ शराब घोटाले में धनशोधन और अनियमितता |
गिरफ्तारी दिनांक | 18 जुलाई 2025 (चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी – PMLA के तहत) |
SC का निर्देश | interim relief हेतु पहले छ.ग. HC में आवेदन करें |
चैतन्य की याचिका | धारा 50 व 63 PMLA के खिलाफ चुनौती—SC में writ दाखिल कर सकते हैं |
भूपेश की याचिका | कुछ याचिकाएँ वापस ली गईं; कुछ अभी सुनवाई के लिए लंबित |
✅ निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने अपने क्रमबद्ध न्यायिक दृष्टिकोण का संदेश दिया है — पहले ऊर्जा न्यायालय (High Court) को स्थान दें ताकि नागरिक रूधरूप से SC में न पहुँचें। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि बड़ी संस्थाओं व सार्वजनिक पदाधिकारियों की आपात याचिकाएं भी न्यायिक अनुक्रम के अनुसार संचालित होंगी।