- यूएस ने भारतीय वस्तुओं पर कुल 50% आयात शुल्क लागू किया, जिससे व्यापार तनाव और आर्थिक दबाव बढ़ गया। यह निर्णय भारत की रूसी तेल आयात नीति को लेकर लिया गया है, और इसका असर लगभग 80 बेसिस पॉइंट तक GDP विकास पर पड़ सकता है ।
- भारत सरकार ने इसे “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” कहा है; ऐसे में निर्यातों को जीवंत रखने में नकदी सहायता या मुद्रा कमजोर करने जैसे विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है.

टैरिफ विवाद की पृष्ठभूमि:
- अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई प्रमुख उत्पादों पर 50% तक का आयात शुल्क (tariff) बढ़ा दिया है।
- यह निर्णय भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद और उसे रिफाइन कर तीसरे देशों को बेचे जाने की नीति को लेकर लिया गया है।
- अमेरिकी पक्ष का आरोप है कि भारत इस प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रूप से रूस को राजस्व देने में मदद कर रहा है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों के विरुद्ध है।
📉 आर्थिक प्रभाव:
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस टैरिफ वृद्धि से भारत की GDP वृद्धि दर में लगभग 80 बेसिस पॉइंट्स (0.80%) तक की गिरावट आ सकती है।
- सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र:
- कपड़ा और वस्त्र उद्योग
- रसायन और फार्मा
- जेम्स और ज्वेलरी (हीरा, सोना)
- स्टील और एलुमिनियम उत्पाद
- निर्यात में गिरावट, निवेशकों का भरोसा कम होना, और रुपया कमजोर होने की संभावना बढ़ी।
🏛️ भारत सरकार की प्रतिक्रिया:
- भारत सरकार ने अमेरिका के इस निर्णय को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा” बताया है।
- विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार: “यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मूल्यों के खिलाफ है। भारत अपने रणनीतिक और ऊर्जा हितों के अनुसार नीति बनाता है।”
🧾 सरकारी विकल्प व रणनीतियाँ:
- नकदी सहायता (Subsidy/Export Support):
- MSME निर्यातकों के लिए रेबेट स्कीम्स में वृद्धि।
- RoDTEP और MEIS जैसे योजनाओं का विस्तार।
- मुद्रा अवमूल्यन (Currency Depreciation):
- रुपये को नियंत्रित तरीके से कमज़ोर करने की रणनीति, ताकि भारतीय वस्तुएँ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सस्ती और प्रतिस्पर्धी बन सकें।
- वैकल्पिक बाजारों की खोज:
- लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और ASEAN देशों में निर्यात बढ़ाने के प्रयास।
- Bilateral FTA को गति देना।
- WTO में शिकायत:
- भारत इस विषय को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में ले जा सकता है, जहाँ एकतरफा टैरिफ वृद्धि को चुनौती दी जा सकती है।
📈 बाजार पर असर:
- BSE Sensex और Nifty में टैरिफ की खबर के बाद 700+ अंकों तक गिरावट देखी गई।
- Export-heavy स्टॉक्स (Tata Steel, Sun Pharma, Welspun India) में गिरावट।
🔍 निष्कर्ष:
- यह टैरिफ विवाद सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है।
- भारत को जहां आत्मनिर्भरता और विविधता आधारित निर्यात नीति अपनानी होगी, वहीं अमेरिका से राजनयिक बातचीत भी तेज करनी होगी।