इससे सड़क पर आवारा पशुओं से होने वाले हादसों में कमी आने की उम्मीद है। गोचर केंद्रो में पशुधन के लिए सुविधाएँ, चारा उत्पादन और जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार की गौधाम योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के लिए सुरक्षित, सुव्यवस्थित और स्थायी आश्रयस्थल उपलब्ध कराने की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की समस्या को हल करना है, जिससे अक्सर यातायात बाधित होता है और सड़क हादसे भी होते हैं।

योजना के मुख्य बिंदु
- गौधाम निर्माण
- प्रत्येक चयनित ग्राम पंचायत में गौधाम यानी पशु आश्रय स्थल बनाए जाएंगे।
- यहाँ पर पर्याप्त छायादार शेड, पानी की व्यवस्था, चारा भंडारण और देखभाल के लिए आवश्यक सुविधाएँ होंगी।
- गोचर भूमि और चारा उत्पादन
- गौधाम से जुड़ी गोचर भूमि पर चारा फसल उगाने की व्यवस्था होगी।
- इससे पशुओं के लिए सालभर पर्याप्त चारा उपलब्ध रहेगा और किसानों को भी अतिरिक्त आय का अवसर मिलेगा।
- जैविक खेती को बढ़ावा
- गौधाम में एकत्र होने वाले गोबर और मूत्र का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद बनाने में किया जाएगा।
- यह खाद आसपास के किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे रासायनिक खाद पर निर्भरता घटेगी और मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी।
- पशु स्वास्थ्य सुविधाएँ
- पशुओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और आपातकालीन चिकित्सा की सुविधा होगी।
- सड़क हादसों में कमी
- आवारा पशुओं को गाँव और शहरों की सड़कों से हटाकर गौधाम में रखा जाएगा, जिससे यातायात सुचारू रहेगा और हादसे कम होंगे।
- रोजगार के अवसर
- गौधाम प्रबंधन में ग्रामीण युवाओं और स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जाएगा।
- गोबर आधारित उत्पाद (गौठान मॉडल की तरह) जैसे दीये, पेंट, खाद, आदि बनाकर अतिरिक्त आय उत्पन्न होगी।
सरकार का मानना है कि यह योजना केवल आवारा पशुओं के संरक्षण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जैविक कृषि और पशु कल्याण—तीनों को मजबूती मिलेगी।