क्या हुआ: क्या चुनाव आयोग ने कार्रवाई की? अखिलेश यादव ने 18,000 वोट कटने की शिकायतों पर सौंपे गए शपथपत्रों (एफिडेविट्स) का अब तक कोई जवाब या कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग चुप बैठा हुआ है और कुछ नहीं किया गया। अखिलेश ने “फास्ट-ट्रैक कोर्ट नहीं, फास्टेस्ट-ट्रैक कोर्ट” की मांग करते हुए कहा कि समयबद्ध कार्रवाई लोकतंत्र और जनता की उम्मीदों के लिए जरूरी है। इसलिए, आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट हुआ है कि उस एफिडेविट्स (18,000 वोट कटने संबंधी) के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है, और चुनाव आयोग द्वारा अब तक कोई जवाब या जवाबदेही साझा नहीं की गई है।

1. मामला कहाँ से शुरू हुआ
- लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया था कि कई विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 18,000 वोटरों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए।
- इन कथित “ग़ैरकानूनी वोट कटने” के सबूत के तौर पर सपा ने चुनाव आयोग को एफिडेविट्स (शपथपत्र) सौंपे थे।
- इन एफिडेविट्स में प्रभावित वोटरों की सूची, उनके हस्ताक्षर और घटना का विवरण शामिल था।
2. अखिलेश यादव का ताज़ा आरोप
- अखिलेश ने कहा कि इतना समय बीतने के बाद भी चुनाव आयोग ने
- न तो कोई आधिकारिक जवाब दिया,
- न ही कोई जांच रिपोर्ट जारी की,
- और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की।
- उनका सीधा आरोप है कि चुनाव आयोग “चुप बैठा है” और मतदान प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों पर पर्दा डाल रहा है।
3. “फास्टेस्ट-ट्रैक कोर्ट” वाली मांग
- उन्होंने कहा कि सिर्फ़ फास्ट-ट्रैक कोर्ट नहीं, बल्कि फास्टेस्ट-ट्रैक कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई होनी चाहिए।
- वजह: लोकतंत्र की विश्वसनीयता और जनता के मतदान के अधिकार की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई जरूरी है।
4. राजनीतिक संदर्भ
- यह बयान ऐसे समय आया है जब
- राहुल गांधी से भी एक अलग मामले में एफिडेविट जमा करने को कहा गया था।
- कांग्रेस और सपा दोनों ही हाल के चुनावों में मतदाता सूची से नाम गायब होने के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग को घेर रही हैं।
- अखिलेश ने इस मौके पर राहुल गांधी के समर्थन में भी अप्रत्यक्ष रूप से बात की, यह कहते हुए कि पहले पुराने एफिडेविट्स का जवाब दो।
5. अभी तक क्या हुआ (स्थिति)
यानी, अखिलेश का यह दावा सही है कि “कोई कार्रवाई नहीं हुई” और यह मामला लटका हुआ है।
आधिकारिक रूप से चुनाव आयोग की तरफ़ से
इस 18,000 वोट कटने वाले मामले पर कोई पब्लिक स्टेटमेंट नहीं आया है।
कोई जांच रिपोर्ट या कार्रवाई का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं हुआ है।