Information Technology मंत्रालय (MeitY) ने राष्ट्रीय डेटा सेंटर नीति पर पुनः विमर्श शुरू किया है। उद्देश्य है — डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाकर भारत को एक डिजिटल हब के रूप में स्थापित करना। इसमें निवेश प्रोत्साहन, बेहतर नियम और अवसंरचना शामिल हैं।

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने राष्ट्रीय डेटा सेंटर नीति के मसौदे पर एक बार फिर चर्चा शुरू की है। इसका लक्ष्य भारत को वैश्विक डिजिटल हब के रूप में विकसित करना और देश में डेटा स्टोरेज व प्रोसेसिंग क्षमता को तेज़ी से बढ़ाना है।
मुख्य उद्देश्य
- भारत को डेटा इकोसिस्टम का केंद्र बनाना – ताकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां यहां अपने डेटा सेंटर स्थापित करें।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा – क्लाउड कंप्यूटिंग, AI, 5G, और IoT जैसी तकनीकों को सपोर्ट देने के लिए मजबूत डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना।
नीति के संभावित प्रमुख बिंदु
- निवेश प्रोत्साहन
- टैक्स छूट, सस्ती जमीन, और बिजली दरों में राहत।
- FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) को आसान बनाने के प्रावधान।
- बेहतर विनियामक ढांचा
- डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुरूप संचालन।
- अनुमति प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना।
- मजबूत अवसंरचना
- उच्च गति इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्थायी बिजली आपूर्ति, और पर्यावरण-हितैषी कूलिंग सिस्टम।
- नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन।
इससे संभावित लाभ
- रोजगार के नए अवसर — निर्माण, रखरखाव, सुरक्षा और तकनीकी सेवाओं में।
- विदेशी निवेश में वृद्धि — Google, Amazon, Microsoft जैसी कंपनियों के बड़े निवेश की संभावना।
- डेटा की स्थानीय प्रोसेसिंग — इससे डेटा संप्रभुता और साइबर सुरक्षा मजबूत होगी।
यह नीति लागू होने पर भारत एशिया के सबसे बड़े डेटा सेंटर हब के रूप में उभर सकता है, खासकर जब दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों में भी डिजिटल सेवाओं की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।