अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में सामने आया यह मामला किसानों की खाद संकट और कंपनियों में अवैध उर्वरक खपाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं—

मामला क्या है?
- स्थान: ग्राम पंचायत भिलाई (अभनपुर क्षेत्र), मोदी बायोटेक प्लांट।
- छापेमारी में बरामदगी: 550 बोरी अवैध यूरिया (सरकारी सब्सिडी वाला)।
- नीलामी: प्रशासन ने इन बोरियों की नीलामी कर दी, जिस पर विवाद उठ गया है।
विधायक इंद्रकुमार साहू के आरोप
- किसानों के साथ अन्याय:
- किसान एक-एक बोरी यूरिया के लिए परेशान हैं।
- जबकि कंपनियों के पास सैकड़ों बोरी अवैध रूप से पहुंच रही हैं।
- संदेह और सवाल:
- यह यूरिया प्लांट तक कैसे पहुंचा?
- किस कंपनी ने यह सप्लाई की?
- अगर यूरिया सब्सिडी वाला था, तो किसानों को मिलने के बजाय कंपनी में क्यों पाया गया?
- प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल:
- इतनी बड़ी बरामदगी के बाद भी कंपनी पर FIR क्यों नहीं हुई?
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
वर्तमान स्थिति
- प्रशासन: बरामद यूरिया को जब्त कर नीलामी की प्रक्रिया पूरी की।
- विवाद का कारण: नीलामी करने के बजाय FIR और कंपनी पर कानूनी कार्रवाई अपेक्षित थी।
बड़ा संदर्भ
- खाद की कमी: राज्य में हर साल खरीफ और रबी सीजन के दौरान किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिलने की शिकायतें आम रहती हैं।
- काला बाज़ारी की आशंका: सब्सिडी वाले यूरिया को कंपनियों या फैक्ट्रियों में खपाकर बड़े पैमाने पर कालाबाज़ारी की आशंका जताई जाती है।
- राजनीतिक रंग: विपक्ष और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को किसानों के हित में बड़ा घोटाला बताकर सरकार और प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं।
किसानों पर असर
- सब्सिडी वाले यूरिया की उपलब्धता और वितरण पर विश्वास कमजोर हो रहा है।
- इससे कृषि उत्पादन और बोआई के मौसम पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
👉 कुल मिलाकर, यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी से जुड़ा है। किसानों को राहत देने के बजाय अगर सब्सिडी वाला यूरिया कंपनियों में पकड़ा जा रहा है और उसके बाद बिना FIR नीलामी कर दी जाती है, तो इससे यह संदेश जाता है कि प्रशासन या तो लापरवाह है या मिलीभगत कर रहा है।