क्या कहा चीन ने?
- नई दिल्ली में चीनी राजदूत शू फेहोंग ने अमेरिका की टैरिफ नीति को “बुली” कहा और साफ शब्दों में बोला: “चुप्पी केवल बुली को हौसला देती है… चीन भारत के साथ मज़बूती से खड़ा रहेगा।”
- उन्होंने जोड़ा कि अमेरिका ने भारत पर अधिकतम 50% तक टैरिफ लगाए हैं और आगे बढ़ाने की धमकी भी दी है—इसे चीन “दृढ़ता से” विरोध करता है।

पृष्ठभूमि: 50% वाला मुद्दा कैसे आया?
- 6 अगस्त 2025 को अमेरिका ने भारत के कुछ निर्यात पर अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ दिया, जिससे कुछ श्रेणियों में कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया (प्रवर्तन 21 दिन बाद प्रभावी)। यह कदम रूस से तेल खरीद जैसे मुद्दों पर दबाव का हिस्सा बताया गया।
चीन-भारत आर्थिक कोण
- शू फेहोंग ने कहा कि चीनी बाज़ार में अधिक भारतीय सामान (खासकर IT, सॉफ्टवेयर, बायोमेडिसिन) का स्वागत है; वहीं चीन की बढ़त इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और न्यू-एनर्जी में है—यानी पूरक ताकतों पर साथ काम करने का संकेत।
असर भारत पर—क्या बदल सकता है?
- ताज़ा टैरिफ अनिश्चितता से भारतीय कंपनियों की कमाई के अनुमान एशिया में सबसे तेज घटे हैं; विश्लेषकों के मुताबिक ऊंचे अमेरिकी शुल्क से विकास पर दबाव बढ़ सकता है—खासतौर पर श्रम-प्रधान सेक्टरों में।
- कूटनीतिक रूप से, यह बयानबाज़ी भारत-चीन के रिश्तों में टोन शिफ्ट का संकेत देती है—कम से कम व्यापार/मल्टीलेट्रलिज़्म के मुद्दों पर—जबकि भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता तनाव में हैं।
आगे क्या सम्भावनाएँ?
- भारत WTO रूट, श्रेणी-विशेष छूट/रीकैलिब्रेशन और बाज़ार-विविधीकरण (EU, मध्य-पूर्व, अफ्रीका) जैसे रास्तों पर ज़ोर बढ़ा सकता है।
- चीन की “मार्केट-एक्सेस” बात अगर ठोस कदमों (मानक/अनुमति/कस्टम्स क्लियरेंस आसान करना) में बदले, तो IT-सर्विसेज़/हेल्थ-टेक/फार्मा के लिए मौके खुल सकते हैं।