छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला अस्पताल से सामने आई एक तस्वीर ने स्वास्थ्य तंत्र की लचर व्यवस्था उजागर कर दी है। वायरल फोटो में एक महिला गार्ड मरीज को इंजेक्शन लगाती दिख रही है। इस घटना पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गंभीर संज्ञान लेते हुए सख्त टिप्पणी की और सरकार को आड़े हाथों लिया।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा:
“यह बेहद दुखद और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है।”
“अगर इस लापरवाही से किसी मरीज की जान चली गई तो जिम्मेदार कौन होगा?”
अदालत ने गरियाबंद कलेक्टर को व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है और विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाओं की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह है पूरा मामला
एनआरएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के बीच जिला अस्पताल गरियाबंद में स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं थे। इसी दौरान एक महिला गार्ड ने महिला मरीज को इंजेक्शन लगा दिया।
मौके पर मौजूद पूर्व पार्षद ने घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके वायरल होते ही मामला तूल पकड़ गया और हाई कोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान में ले लिया।
गार्ड से इंजेक्शन लगवाना मेडिकल प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन है।
इस लापरवाही ने न केवल मरीज की जिंदगी खतरे में डाली बल्कि पूरे प्रशासन की छवि को धूमिल किया है।