महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा “क्रांतिकारी गठबंधन” कहे जाने वाले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की जोड़ी को शुरुआती टेस्ट में ही हार का सामना करना पड़ा है।

📌 पृष्ठभूमि
- पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना (UBT) को करारी शिकस्त मिली थी।
- हार से सबक लेते हुए उद्धव ठाकरे ने 20 साल बाद अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से हाथ मिलाया।
- BMC चुनाव को ध्यान में रखते हुए शिवसेना UBT और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठबंधन किया गया।
- इसे ठाकरे परिवार की “घर वापसी” और राजनीति का गेमचेंजर कदम बताया गया।
📌 झटका कहाँ लगा?
- BMC चुनाव से पहले हुए BEST सोसाइटी के चुनाव में इस गठबंधन की असली परीक्षा हुई।
- यहां “ब्रांड ठाकरे” पूरी तरह फेल साबित हुआ।
- नतीजे बताते हैं कि मतदाताओं ने ठाकरे ब्रदर्स की एकजुटता पर भरोसा नहीं जताया।
📌 असर और संकेत
- माना जा रहा था कि ठाकरे परिवार की भावनात्मक अपील और करिश्मा मुंबई की राजनीति में फिर से काम करेगा।
- लेकिन BEST चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि ब्रांड ठाकरे अब पहले जैसी पकड़ खो चुका है।
- अब बड़ा सवाल यह है कि अगर छोटे चुनाव में यह हाल है तो आने वाले BMC चुनाव में ठाकरे ब्रदर्स किस तरह मतदाताओं को लुभाएंगे?
📌 राजनीतिक विश्लेषण
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह हार सिर्फ एक चेतावनी है।
- अगर संगठन और रणनीति पर दोबारा काम नहीं हुआ तो यह गठबंधन BMC में भी तगड़ी मुश्किलें झेल सकता है।
- वहीं विरोधी खेमे ने इसे ठाकरे परिवार की कमज़ोर पकड़ का सबूत बताना शुरू कर दिया है।