- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर के बाढ़-प्रभावित जिलों (बस्तर/दंतेवाड़ा/बीजापुर/सुकमा) में राहत-पुनर्वास और बुनियादी ढाँचे की बहाली युद्धस्तर पर करने के निर्देश दिए।
- दंतेवाड़ा (धानापाल) में कई घर बहने/ध्वस्त हुए; जो मुआवजा दिया जा रहा है उसे ग्रामीण अपर्याप्त बता रहे हैं — विवाद और पुनः-सर्वे की मांग।
- बीजापुर में स्थानीय रिपोर्टें धान पर एक स्थानीय नाम से रोग-प्रकोप बता रही हैं (“पंडरीमंडी रोग”) — यह क्षेत्रीय रिपोर्ट है; वैज्ञानिक सलाह के अनुसार तुरंत खेत-निरीक्षण, नमूना-परीक्षण और ICAR/कृषि विभाग की सलाह लागू करनी चाहिए।
- उर्वरक वितरण में गड़बड़ियाँ—स्टॉक/लेन-देन में अनियमितताएँ और गोदाम सत्यापन के बाद निलंबन/जांच की खबरें हैं। किसानों को समय पर खाद न मिलने का सीधा असर फसल पर पड़ सकता है।
- नक्सल-विरोधी जागरूकता में नई पहल: सुकमा क्षेत्र में पोस्टर/जनजागरण और शिक्षा-केंद्रित संदेश बढ़े हैं।
- जगदलपुर में वीर सावरकर भवन का जीर्णोद्धार तय हुआ; कोंडागांव में पुस्तक-पठन अभियान और नारायणपुर/कोंडागांव में राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिताएँ चलीं — ये स्थानीय सामाजिक/शैक्षिक पहल हैं।
- कांकेर जैसी जगहों पर सड़क-किनारे सूखे पेड़ों को लेकर स्थानीय सुरक्षा-आवोदन और कटाई की मांगें उठी हैं (हादसे का ख़तरा)।

1) मुख्यमंत्री का बस्तर दौरा और बाढ़-राहत — स्थिति और प्राथमिक कार्य
मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस/स्थानीय निरीक्षण के जरिए राहत-कार्य और पुनर्वास पर युद्धस्तर की समीक्षा की है। निर्देशों में प्राथमिकताएँ: प्रभावित परिवारों तक त्वरित नकदी-राहत/DBT, तिरपाल-बाँस-बल्ली, भोजन-चिकित्सा-पेयजल, सड़क/पुल/बिजली की बहाली और प्रभारी सचिवों का क्षेत्र भ्रमण शामिल है। सरकारी तरफ़ से कुछ DBT/राहत निर्देश पहले ही चल रहे हैं, पर जमीन पर प्रभावितों का गुस्सा और पुनर्वास-दाब स्पष्ट दिख रहा है — इसलिए निगरानी और पारदर्शिता जरूरी है।
क्या करना चाहिए (तुरंत):
- प्रभावित गाँवों का पुनः-तार्किक सर्वे, सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए (नाम/राशि)।
- अस्थायी-शिविरों से स्थायी आवास/पुनर्वास-लिस्ट पर त्वरित काम और प्रभावित परिवारों के बैंक-एकाउंट में स्पष्ट DBT दिखाएं।
2) दंतेवाड़ा — धानापाल गांव: मुआवजा विवाद
स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार धानापाल में 68 मकान ढहे; प्रशासन ने मुआवजे का इरादा बताया पर एक-एक परिवार को जो सीधे दिए गए कुछ भुगतान (रिपोर्ट में ~₹3–4 हजार का जिक्र) ग्रामीणों को बेहद कम लगा — इसलिए ग्रामीणों ने पुनः-सर्वे और असल मुआवजे की मांग की है। सोशल/लोकल रिपोर्ट और प्रशासनिक प्रेस-रिलीज़ दोनों जगहों पर कुछ अंतर दिख रहा है।
जो सवाल उठते हैं: सर्वे विधि, घरेलू-नुकसान का मापन, DBT के साथ जो supporting list/फोटो हैं उनकी पारदर्शिता — इन पर स्पष्ट जवाब चाहिए। अगर आप स्थानीय हैं तो प्रभावितों के लिए ‘पुनर्वास-किट’ और पुनः-सर्वे की मांग को लिखित रूप में कलेक्टर/ब्लॉक कार्यालय में जमा कराना असरदार रहता है।
3) बीजापुर — धान पर ‘पंडरीमंडी’ रोग की खबर और कृषि-सलाह
लोकल पोर्टल ने बीजापुर के खेतों में धान पर एक स्थानीय नाम से रोग-प्रकोप रिपोर्ट किया है (रिपोर्ट में इसे “पंडरीमंडी रोग” बताया गया है)। इस नाम का वैज्ञानिक साहित्य में सामान्य मेल नहीं मिला — इसलिए संभावित कारण यह हैं: (a) क्षेत्रीय/लोकल नाम किसी सामान्य धान रोग (जैसे blast/झुलसा, sheath-blight, dwarfing/viral syndromes, grain-discoloration आदि) का स्थानीय नाम हो सकता है, या (b) जलभराव/सड़क-निगमित पानी की वजह से फफूंद/बैक्टीरियल तरह की समस्या बढ़ रही हो। स्थानीय कृषि टीमें खेत-नमूना ले रही हैं और शुरुआती सलाह में “खेत से पानी निकालें, और समय पर दवा-छिड़काव” जैसी सामान्य क़दम बताये गए हैं।
किसान-स्तर पर तात्कालिक सलाह (ICAR/राज्य कृषि-सलाह के अनुरूप):
- प्रभावित फ़सलों के नमूने तुरंत नजदीकी KVK/पश्चिम/कृषि प्रयोगशाला में भेजें। (नमूने बिना लैब की पुष्टि के अनुमान पर न छिड़कें)।
- जलभराव हो तो खेत से पानी निकालकर 3–4 दिन खोलकर रखें (कुछ रोगों में यह मददगार)।
- कृषि विभाग/केंद्र/राज्य द्वारा बताए गए प्रमाणित कवकनाशक/नियंत्रण पद्धति का ही उपयोग करें; लोकल extension सेवाओं की सलाह लें।
नोट: स्थानीय रिपोर्ट में प्रयुक्त नाम (पंडरीमंडी) वैज्ञानिक नाम नहीं है — इसलिए निदान के बिना किसी दवा/हैकर उपाय से बचें; नमूना-परीक्षण आवश्यक है।
4) उर्वरक वितरण-अनियमितताएँ (बीजापुर/छत्तीसगढ़ में मामलों का संदर्भ)
कई जिलों में गोदाम सत्यापन/स्टॉक-असमानता और POS-एंट्री के अंतर पाये गए; कुछ जगहों पर गोदाम प्रभारी निलंबित और FIR तक की खबरें हैं। बीजापुर में भी स्थानीय रिपोर्टें हैं कि किसानों को निर्धारित मात्रा नहीं मिली; राज्य स्तर पर जिलों में भंडारण-वितरण की मॉनिटरिंग बढ़ाने की बात हुई है।
किसान क्या करें:
- खाद न मिलने/कम मिलने पर अपनी ब्लॉक/किसान सहायता केंद्र या मार्कफेड/जिलाधिकारी कार्यालय में लिखित शिकायत दें; राज्य-वेबसाइट पर grievances दर्ज करें।
- यदि वितरण में स्पष्ट गड़बड़ी दिखे तो पैनल/ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक कराने की मांग करें—क्योंकि खरीफ में समय पर उर्वरक सीधे पैदावार दर्जा प्रभावित करते हैं।
5) नक्सल-विरोधी अभियान — नई पहल (सुकमा)
सुकमा पुलिस/स्थानीय प्रयासों की रिपोर्ट बताती है कि नक्सल विचारधारा के खिलाफ “पोस्टर-वार” और शिक्षा-केंद्रित संदेश चलाये जा रहे हैं — संदेशों में यह ज़ोर है कि “शिक्षा असली हथियार है” और बच्चों/युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना है। पिछले महीनों में आत्मसमर्पण/rehabilitation नीतियों के चलते कुछ नक्सली आत्मसमर्पण की खबरें भी हैं; इसलिए सुरक्षा-प्रयास और सवाजिक जागरूकता दोनों एक साथ चल रही हैं।
नीतिगत असर: घोर-क्षेत्रों में शिक्षा/रोजगार-कदम और स्थानीय शिकायत निवारण से लंबे समय में नक्सल-रैक्रूटमेंट घट सकता है — इसलिए पुलिस-सामुदायिक समन्वय पर ज़ोर है।
6) सामाजिक-सांस्कृतिक खबरें — वीर सावरकर भवन, पुस्तक पठन, छात्र खेल
- वीर सावरकर भवन (जगदलपुर) — नगर निगम/महापौर ने जीर्णोद्धार का निर्णय लिया; मरम्मत/रंग-रोगन, मंच-टॉयलेट/बिजली सुधार आदि योजनाएं हैं। स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है।
- पुस्तक पठन अभियान (कोंडागांव) — स्कूलों में सामूहिक पठन दिवस और पढ़ने की आदत बढ़ाने के कार्यक्रम हुए; प्रोत्साहन वाली पहल है।
- 25वीं राज्य स्तरीय छात्र खेल प्रतियोगिता — कोंडागांव/नज़दीकी जिलों में आयोजन रहा; फुटबॉल और मलखंभ सहित कई खेलों में प्रतिभागिता रही। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे मंच पाते हैं।
7) सड़क किनारे सूखे पेड़ — कांकेर (सुरक्षा-खतरा)
कांकेर के कई हिस्सों में सूखे पेड़ों को लेकर चिंता उठी है — हवा/बरसात में गिरने का जोखिम रहता है, इसलिए स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कटाई/सुरक्षा की मांग की है। नगर निकाय/वन विभाग के समन्वय से ऐसे पेड़ों की प्राथमिक पहचान और कटाई-निपटान की आवश्यकता है।
क्या-क्यों-अगला (सुझाव और ‘किससे पूछें’ — मीडिया/नागरिक/किसान)
- प्रशासन से मांगें: (a) दंतेवाड़ा/धानापाल का पुनः-सर्वे सार्वजनिक करना; (b) प्रभावितों के खाते में DBT-राशि और सर्वे-रिपोर्ट लिंक देना।
- कृषि फील्ड: किसान अपनी फसलों के संदिग्ध नमूने नजदीकी KVK/कृषि-लैब में दें; कृषि विभाग की लिखित सलाह के बिना छिड़काव सीमित रखें।
- खाद/उर्वरक: यदि आप प्रभावित किसान हैं — ब्लॉक/कलेक्टर के पास लिखित शिकायत, साथ में POS/रसीद की प्रतिलिपि दें; मीडिया में यह उजागर करने से गति आती है।
- सुरक्षा/नक्सल: पुलिस-प्रवर्तित जागरूकता और शिक्षा-पहल को समर्थन दें; स्थानीय समाज-लीडर/शिक्षक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हों।
स्रोत (मुख्य संदर्भ जो मैंने पढ़े)
- CM के निर्देश और बस्तर बाढ़ कवरेज — Times of India, IndiaTimes, Jagran.
- दंतेवाड़ा (धानापाल) मुआवजा विवाद — Lalluram (लोकल रिपोर्ट), जिलाधिकारी/प्रेस-रिलीज़ रिपोर्ट्स।
- बीजापुर: पं डरीमंडी के रूप में स्थानीय रिपोर्ट + ICAR / राज्य कृषि-सलाह।
- उर्वरक वितरण-मामले — NNSP रिपोर्ट, छत्तीसगढ़ DPRCG / स्थानीय अखबार कवरेज।
- नक्सल-विरोधी पोस्टर/जागरूकता — Naidunia, Hashtagu, ThePrint (संदर्भ)।
- वीर सावरकर भवन (जगदलपुर) — स्थानीय समाचार/बस्तर रिपोर्ट।
- पुस्तक पठन अभियान, राज्य-स्तरीय खेल — VisionNewsService, Amar Ujala, स्थानीय रिपोर्ट।
- कांकेर में सूखे पेड़ों की स्थानीय समस्या — Dainik Bhaskar।