सितंबर को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो सिर्फ हार्मोनल डिसऑर्डर नहीं बल्कि मेटाबॉलिज्म, रिप्रोडक्टिव हेल्थ और ओवरऑल वेलबीइंग पर असर डालती है।

क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, हेल्थ कोच और TEDx स्पीकर डॉ. निधि निगम के अनुसार, भारत में हर 5 में से 1 महिला PCOS से प्रभावित है।
PCOS के मुख्य कारण
1️⃣ इंसुलिन रेजिस्टेंस
पीसीओएस का सबसे बड़ा कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस है।
- जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पातीं, तो पैनक्रियाज ज्यादा इंसुलिन बनाने लगता है।
- हाई इंसुलिन लेवल ब्लड शुगर को असंतुलित करने के साथ-साथ ओवरीज़ को ज़्यादा एंड्रोजन (पुरुष हॉर्मोन) बनाने के लिए भी प्रेरित करता है।
2️⃣ हार्मोनल इंबैलेंस और जेनेटिक फैक्टर
- पीसीओएस में LH (ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन) और FSH (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन) का संतुलन बिगड़ जाता है।
- इसके चलते ओवरीज़ से एग्स रिलीज़ नहीं हो पाते और छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं।
- अगर मां या बहन को PCOS है, तो परिवार की अन्य महिलाओं में भी इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है।
- लेकिन सिर्फ जेनेटिक्स ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
PCOS के आम लक्षण
- अनियमित पीरियड्स
- चेहरे/शरीर पर अनचाहे बाल (हिर्सुटिज्म)
- वजन बढ़ना, खासकर पेट के आसपास
- मुंहासे और तैलीय त्वचा
- बाल झड़ना या पतले होना
- बांझपन की समस्या
बचाव और मैनेजमेंट के उपाय
✅ हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना – संतुलित आहार और नियमित व्यायाम
✅ शुगर और प्रोसेस्ड फूड से परहेज
✅ वजन को नियंत्रित रखना
✅ योग, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद से तनाव कम करना
✅ समय-समय पर डॉक्टर से जांच और काउंसलिंग
