📍 पृष्ठभूमि:
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में आत्मानंद स्कूलों (सेजेस) में प्राचार्य, व्याख्याता, प्रधानपाठक व अन्य शिक्षकों के पदों को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है।
शालेय शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव को एक पत्र लिखकर इस असमान और भेदभावपूर्ण नीति के खिलाफ आवाज उठाई है।

⚡ समस्या का सारांश:
- प्राचार्य पदोन्नति के लिए प्रदेशभर में आत्मानंद स्कूलों के रिक्त पद उपलब्ध कराए गए हैं और पदोन्नति प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
- बीएडधारी सहायक शिक्षकों को प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति भी आत्मानंद स्कूलों में की गई है।
- लेकिन व्याख्याता, प्रधानपाठक माध्यमिक/प्राथमिक व शिक्षक के पदों को पदोन्नति के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
📢 शालेय शिक्षक संघ की मुख्य मांगें:
- आत्मानंद स्कूलों के सभी रिक्त पदों को व्याख्याता टी संवर्ग की पदोन्नति काउंसलिंग में उपलब्ध कराया जाए।
- दुर्ग, बालोद, दंतेवाड़ा, बीजापुर समेत अन्य जिलों में चल रही संविदा भर्ती और प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया की समीक्षा की जाए।
- अनियमितता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाए।
- 2008 के सेटअप के अनुसार पदोन्नति भरे जाने वाले पदों पर यथाशीघ्र पदोन्नति प्रदान की जाए।
⚡ शिक्षक संघ के प्रमुख तर्क:
- वर्तमान में व्याख्याता टी संवर्ग पदोन्नति काउंसलिंग के दौरान भारी संख्या में रिक्त पद होने के बावजूद आत्मानंद स्कूलों के रिक्त पद को काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया।
- प्राचार्य टी संवर्ग और सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) की सीधी भर्ती में आत्मानंद शालाओं के रिक्त पदों पर नियुक्ति की गई।
- इसलिए यह नीति भेदभावपूर्ण और खेदजनक है।
- दंतेवाड़ा जिले में किसी भी विषय के पदोन्नत व्याख्याता को आत्मानंद स्कूलों में पदस्थापना का कोई विकल्प नहीं दिया गया।
- वहीं अन्य जिलों के शिक्षकों को दुर्ग/बालोद आदि जिले में प्रतिनियुक्ति हेतु आवेदन करने के लिए अवसर दिया गया।
- इस प्रक्रिया में कथित रूप से भारी लेन-देन और भयादोहन की शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं।
🏷️ संगठन के पदाधिकारीयों का समर्थन:
- शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, धर्मेश शर्मा, चंद्रशेखर तिवारी, जितेंद्र शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी इस मामले में सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की मांग कर चुके हैं।
- उन्होंने कहा कि बिना देरी के आत्मानंद स्कूलों के रिक्त पदों को व्याख्याता संवर्ग की काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।
✅ निष्कर्ष:
- यह मामला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, समानता और निष्पक्षता के मुद्दे पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर रहा है।
- शिक्षक संघ की मांग है कि पदोन्नति प्रक्रिया में सभी रिक्त पदों को उचित तरीके से भरा जाए ताकि शिक्षक संवर्ग में न्याय हो सके।
- सरकार पर दबाव बन रहा है कि वह शीघ्र कार्रवाई कर नीति को संशोधित करे और भेदभावपूर्ण प्रक्रियाओं को समाप्त करे।
👉 आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग का इस पर क्या निर्णय आता है, यह महत्वपूर्ण रहेगा।
