घटना का सारांश:
- स्थान: कोरबा, हरदीबाजार हॉस्पिटल मोहल्ला
- संस्था: एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) दीपका
- कार्य: खदान क्षेत्र के सर्वे के लिए टीम का आगमन
- परिस्थिति:
एसईसीएल की सर्वे टीम प्रशासन और पुलिस के साथ ग्रामवासियों के बीच पहुंची थी, ताकि खदान के लिए जरूरी नाप-जोख की प्रक्रिया की जा सके।
🚧 ग्रामीणों का विरोध:
- पंचायत प्रतिनिधि, ग्रामवासी, पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर, भाजपा जिला मंत्री अजय दुबे सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां मौजूद थे।

- ग्रामीणों का आरोप था कि:
- पहले हुई त्रिपक्षीय वार्ता में एसईसीएल प्रबंधन ने 7 सूत्रीय मांगों पर लिखित सहमति दी थी।
- इन मांगों में शामिल थे:
- रोजगार की गारंटी
- सर्वसुविधायुक्त बसाहट
- उचित मुआवजा
- अन्य सामाजिक व आर्थिक सुविधाएं
- इसके बावजूद, बिना पंचायत को सूचित किए और उनके अनुमोदन के, एसईसीएल की टीम जबरदस्ती सर्वे करने की कोशिश कर रही थी।
- ग्रामीणों ने इसे त्रिपक्षीय वार्ता की धोखाधड़ी और छलावा बताया।
- उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें लिखा गया कि एसईसीएल बिना ग्राम पंचायत की अनुमति के सर्वे करने का प्रयास कर रही थी, जिससे सामाजिक अशांति फैलने का खतरा था।
🚨 परिणाम:
- एसईसीएल की टीम बढ़ते विरोध को देखकर और पंचायत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कारण बैरंग लौट गई।
- ग्रामवासियों ने एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ हरदीबाजार थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई।
- पंचायत प्रतिनिधियों ने इस घटना को पूरी तरह से गैर-कानूनी बताया और प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की।
⚡ सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव:
- यह मामला न केवल खनन नीति, ग्रामवासियों के हितों और रोजगार की मांग से जुड़ा है, बल्कि सामाजिक अशांति और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाता है।
- ग्रामीण यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि खनन के चलते उन्हें उचित मुआवजा, रोजगार और बसाहट मिले।
- प्रशासन पर भी दबाव है कि वह त्रिपक्षीय वार्ता की सहमति का सम्मान करे और बिना पंचायत की सहमति के किसी भी कार्यवाही को रोकें।
✅ निष्कर्ष:
यह घटना खनन के विस्तार में ग्रामवासियों की भूमिका और अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण संघर्ष बन गई है। ग्रामीणों ने अपनी मांगों को दृढ़ता से रखा है और प्रशासन से एसईसीएल के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है।
अगले चरण में इस प्राथमिकी की जांच होगी और मामले की कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना है। साथ ही, इससे एसईसीएल की परियोजना पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि स्थानीय सहमति के बिना खनन कार्य आगे नहीं बढ़ पाएगा।
