कांग्रेस की ओर से भाजपा सरकार पर सीधा हमला है। मैं इसे विस्तार से समझाता हूँ 👇
कांग्रेस का आरोप
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी को “प्रायोजित लूट” बताया और कहा कि:
- बिजली बिल दुगुना
- कांग्रेस का दावा है कि भाजपा सरकार आने के बाद से हर उपभोक्ता का औसतन बिजली बिल दोगुना हो गया है।
- इसका कारण कांग्रेस ने भाजपा की मुनाफाखोरी वाली नीति को ठहराया।
- बिजली बिल हॉफ योजना का संदर्भ
- कांग्रेस सरकार (2018–2023) के समय “बिजली बिल हॉफ योजना” लागू थी।
- इस योजना से प्रदेश के 54 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ मिलता था।
- औसतन 40–50 हजार रुपये तक की बचत प्रत्येक उपभोक्ता को 5 साल में हुई।
- योजना में 400 यूनिट तक की खपत वाले अधिकांश घरेलू उपभोक्ता शामिल थे।
- कांग्रेस का कहना है कि यह योजना समाप्त कर भाजपा ने जनता पर अतिरिक्त बोझ डाला।
- इस बार आए बिलों की समस्या
- सितंबर महीने में आए बिजली बिलों ने जनता को परेशान और आक्रोशित कर दिया।
- औसतन बिल दुगुना आया है।
- कांग्रेस ने इसके तीन कारण गिनाए:
- बिजली दरों में बढ़ोतरी – सरकार ने यूनिट रेट बढ़ाया।
- बिजली बिल हॉफ योजना बंद होना – अब आधा बिल नहीं मिल रहा।
- स्मार्ट मीटर की समस्या – कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट मीटर “अनाप-शनाप” रीडिंग दिखा रहे हैं, जिससे खपत से अधिक बिल बन रहा है।
कांग्रेस का राजनीतिक संदेश
- कांग्रेस इसे आम जनता के खिलाफ नीतिगत हमला बताकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है।
- बयान का मुख्य लक्ष्य यह दिखाना है कि कांग्रेस ने राहत दी थी (बिजली बिल हॉफ योजना), जबकि भाजपा ने इसे समाप्त कर जनता पर बोझ डाला।
- “प्रायोजित लूट” जैसी भाषा कांग्रेस की आक्रामक रणनीति को दर्शाती है।
संभावित असर
- जनता में असंतोष: यदि वाकई बिल अधिक आए हैं तो ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं में नाराज़गी बढ़ सकती है।
- राजनीतिक लाभ: कांग्रेस इसे भाजपा की “जनविरोधी नीतियों” के उदाहरण के रूप में प्रचारित कर सकती है।
- भाजपा का जवाब: संभावना है कि भाजपा इसे आवश्यक सुधार, रीयल रीडिंग और वित्तीय संतुलन के नाम पर सही ठहराए और कांग्रेस पर “लोकलुभावन वादों” का आरोप लगाए।

