- हमले की पृष्ठभूमि:
19 सितंबर को मणिपुर के विष्णुपुर ज़िले में उग्रवादियों ने 33 असम राइफल्स के काफिले पर हमला किया था। उसी में रंजीत सिंह कश्यप शहीद हो गए। - परिवार:
वे अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। पीछे उनकी पत्नी और तीन छोटी बेटियां हैं। सबसे छोटी बेटी मात्र चार महीने की है।

- व्यक्तिगत जीवन:
रंजीत बेहद मिलनसार और मददगार स्वभाव के थे। हाल ही में वे घर आए थे और पत्नी से बेटी के नामकरण के लिए अगली बार लंबी छुट्टी का वादा किया था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। - गांव में अंतिम यात्रा:
आज उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर बालेंगा गांव पहुंचा। पूरा गांव उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ पड़ा।
गगनभेदी नारों – “शहीद रंजीत अमर रहें” – से गलियां गूंज उठीं।
हर आंख नम थी, पर दिल में शहीद के साहस और बलिदान के लिए गर्व भी था। - श्रद्धांजलि:
मंत्री केदार कश्यप, स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल, कलेक्टर हरीश एस और एसपी शलभ सिन्हा सहित अनेक जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

👉 रंजीत कश्यप का बलिदान केवल उनके परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश का अपूरणीय नुकसान है। उनका नाम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
