- छत्तीसगढ़ खेल प्रशिक्षक संघ (अध्यक्ष/प्रतिनिधि — विरेंद्र देशमुख) ने राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित कोच/प्रशिक्षक पदों की शैक्षणिक योग्यता में ‘शिथिलीकरण’ के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की.
- क्या कदम हुआ: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खेल सचिव और संचालनालय के निदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
- क्यों विवाद: संघ का दावा है कि विभाग ने मुख्यमंत्री/खेल मंत्री को भ्रामक जानकारी दी और उसी आधार पर कैबिनेट से शैक्षणिक मानदंड बदलवाकर 23 जुलाई 2025 को अधिसूचना पारित करवाई गई तथा 25 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुई। संघ इसे खेल जगत के लिए “काला अध्याय” बता रहा है।

घटना-क्रम / टाइमलाइन (खास बातें)
- विभाग ने पदों के लिए योग्यता मानदंड शिथिल करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराया; संबंधित अधिसूचना 23 जुलाई 2025 को जारी बताई जा रही है और उसका प्रकाशन 25 जुलाई 2025 को हुआ बताया जा रहा है — इस बारे में संघ ने आधिकारिक अधिसूचना वापस लेने की मांग की है।
- संघ के अनुसार राज्य में प्रशिक्षक पदों पर अंतिम बार 2011 में सीधी भर्ती हुई; बाद में वित्त विभाग से 2013, 2016, 2017 में अनुमति भी मिली थी पर भर्ती नहीं करवाई गई — यही कारण है संघ की तीखी नाराज़गी और आरोप।
याचिका (क्या माँगा गया/किस आधार पर) — प्रमुख दलीलें
- अधिसूचना वापस किए जाने की मांग — क्योंकि शैक्षिक मानदंड (qualification) घटाने का निर्णय अनुचित और वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुकूल नहीं लिया गया, तथा इससे खेल प्रशिक्षण के तकनीकी मानकों के साथ छेड़छाड़ होगी।
- विभाग ने गलत/भ्रामक जानकारी दी — संघ का आरोप है कि संचालनालय ने CM और खेल मंत्री को ऐसी सूचना दी जिससे कैबिनेट ने शिथिलीकरण को मंजूरी दे दी; इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं।
- तकनीकी योग्यता का तर्क — संघ का कहना है कि कोचिंग-क्षेत्र में NSNIS/ NIS (Patiala) का Diploma in Sports Coaching और समकक्ष तकनीकी डिप्लोमा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए; केवल BPEd/ MPEd (शैक्षिक डिग्रियाँ) को सीधे समकक्ष मान लेना अनुचित है। (NSNIS/SAI के दस्तावेज़ों में भी NIS डिप्लोमा का कोचों के लिए मानक स्वरूप उल्लेख मिलता है)।
प्रासंगिक पृष्ठभूमि — NIS डिप्लोमा बनाम B.P.Ed / M.P.Ed (संदर्भ सहित)
- NSNIS (Netaji Subhas National Institute of Sports, Patiala) का Diploma in Sports Coaching एक विशेष-कोचिंग (technical) पाठ्यक्रम है — इसमें exercise physiology, sports psychology, coaching practicum, internship आदि तकनीकी मॉड्यूल होते हैं और यह सीधे कोचिंग कैरियर के लिए डिज़ाइन है। कई सरकारी/केंद्रीय भर्ती-नोटिसों में यह डिप्लोमा कोचिंग पदों की मान्यता में दिखता है।
- SAI / केंद्रीय निकायों के भर्ती विज्ञापनों में भी अक्सर “Diploma in Coaching from SAI/ NS NIS / recognised institute” जैसी शर्तें रहती हैं — यानी केन्द्रीय/कुछ राज्य निकाय पारंपरिक रूप से NIS-स्टाइल डिप्लोमा को मान्यता देते रहे हैं।
- दूसरी ओर B.P.Ed / M.P.Ed शैक्षिक डिग्रियाँ हैं — वे शिक्षण/शारीरिक शिक्षा के शैक्षिक आधार पर दी जाती हैं। कई जगह दोनों (डिप्लोमा और BPEd/MPEd)-संबंधी योग्यता मान ली जाती है पर यह नीति-निर्धारण का विषय है और राज्यों के नियम अलग-अलग हो सकते हैं। (यही वास्तविक तकरार का केंद्र बिंदु है)।
अदालत-प्रक्रिया: अभी क्या हुआ और आगे क्या हो सकता है
- नया कदम: हाईकोर्ट ने खेल सचिव व संचालक को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा — इसका अर्थ यह है कि अदालत पहले विभाग का पक्ष सुनेगी (affidavit/विवरण) और फिर रोक-टोक/अंतरिम आदेश देने या याचिका की अगली सुनवाई का फैसला करेगी।
- आगे के संभावित परिणाम (सामान्य तौर पर):
- कोर्ट अधिसूचना के विरुद्ध इंटिरिम स्टे लगा सकती है (यदि अधिसूचना से अनुपयुक्त/अनियमितता स्पष्ट हो) — तब विभाग द्वारा जारी नियम लागू न हों।
- अदालत अधिसूचना निरस्त (quash) कर सकती है यदि प्रक्रियागत दोष/अनुपयुक्त अधिकार प्रयोग सिद्ध हुआ।
- अदालत विभाग से विस्तृत जवाब और दस्तावेज (कैबिनेट नोट, वित्तीय अनुमोदन, विभागीय सर्कुलर, भर्ती नियमों का तुलनात्मक अध्ययन इत्यादि) मँगवा सकती है।
- या कोर्ट कह सकती है कि नोटिफ़िकेशन वैध है पर भर्ती-प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो — तब भर्ती जारी रहेगी पर नियमों की व्याख्या पर निर्देश मिल सकते हैं।
(ऊपर-वाले बिंदु सामान्य न्यायिक विकल्प हैं; विशेष फैसला हाईकोर्ट के तथ्यों और दाखिल जवाब पर निर्भर करेगा।)
प्रशासनिक-नीतिगत असर (व्यवहारिक निहितार्थ)
- यदि कोर्ट अधिसूचना रद्द कर दे तो अभी जो भी भर्ती/आगामी विज्ञापन उसी पुराने मानक के अनुसार होंगे या नई नीति बनानी पड़ेगी।
- संघ/प्रार्थी का तर्क है कि शैक्षिक मानदंड घटाने से अर्ह कोच उम्मीदवारों का नुकसान होगा और खेल-प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
- दूसरी ओर विभाग का तर्क (यदि सामने आता है) हो सकता है कि मानव संसाधन की कमी/भर्ती जल्द करने की आवश्यकता के चलते नियमों में परिवर्तन किया गया — लेकिन उसे अदालत में ठोस तर्क और आंकड़े दिखाने होंगे।
अगले व्यवहारिक कदम — किन्हें क्या करना चाहिए (सुझावात्मक)
- संघ / याचिकाकर्ता: कोर्ट में जो-जो दस्तावेज़ मांगे जाएँ (कैबिनेट नोट, विभागीय मेल/प्रस्ताव, वित्तीय अनुमति की प्रतियाँ, राजपत्र का स्कैन) उन्हें तैयार रखें; गवाह/तकनीकी विशेषज्ञों के बयान भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
- खेल विभाग / सरकार: हाईकोर्ट के नोटिस में मांगे गए समय में स्पष्ट, दस्तावेज़ी जवाब दें — क्यों योग्यता बदली, क्या वैकल्पिक मान्यता (equivalence) का कोई आधिकारिक आधार है, वित्तीय/नैतिक कारण क्या थे।
- उम्मीदवार/आगामी आवेदन करने वाले: संबंधित अधिसूचना/गज़ट नोट की सुरक्षित प्रतियाँ रखें; यदि आप प्रभावित हैं तो कानूनी सलाह लें। (कोर्ट के आदेश आने तक विभाग की तैयारी/नोटिस पर नजर रखें।)
- जनसामान्य/मीडिया: कोर्ट-आदेश और विभागीय जवाबों की प्रतियों पर नज़र रखें — क्योंकि ये फैसला राज्य के खेल नीति और नियुक्ति मानकों पर असर डालेगा।
संदर्भ / स्रोत (मुख्य समाचार-संदर्भ और प्राधिकरण)
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका और अदालत के नोटिस की रिपोर्ट: CGMP और Lalluram की स्थानीय रिपोर्टें।
- NSNIS (Patiala) — Diploma in Sports Coaching (कोचिंग-डिप्लोमा का कोर्स व पाठ्यक्रम-स्वरूप)।
- SAI/NS NIS भर्ती-दस्तावेज (पूर्व भर्ती विज्ञापन/eligibility में NIS-डिप्लोमा का उल्लेख)।
