छत्तीसगढ़ की राजनीति में बेहद दिलचस्प और अहम माना जा रहा है। इसमें तीन बड़े एंगल सामने आते हैं — (1) भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर का अपनी ही सरकार के खिलाफ विरोध, (2) कांग्रेस के बड़े नेताओं (भूपेश बघेल व दीपक बैज) का इस विरोध को हवा देना, और (3) अमित शाह के दौरे के दौरान यह सब होना।
1. ननकीराम कंवर की नाराज़गी और हाउस अरेस्ट
- कौन हैं कंवर?
ननकीराम कंवर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं और राज्य में गृहमंत्री रह चुके हैं। भाजपा में उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है, खासकर आदिवासी बेल्ट में। - कलेक्टर को लेकर विवाद
कंवर लंबे समय से कोरबा कलेक्टर पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और अव्यवस्था जैसे आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने इस मामले पर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखे।
→ उनकी मांग: कोरबा कलेक्टर को हटाया जाए। - धरने की चेतावनी
कंवर ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अगर कलेक्टर को नहीं हटाया गया तो वे 4 अक्टूबर को रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरने पर बैठेंगे। - हाउस अरेस्ट
रायपुर पहुँचने पर उन्हें धरने से पहले ही प्रशासन ने गहोई भवन में रोक दिया और उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया गया। यानी उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया।

2. भूपेश बघेल का तंज (कांग्रेस का रुख)
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाया और अमित शाह पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
- “वाह! अमित शाह जी! वाह”
- जिस वक्त गृहमंत्री बस्तर में व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं, उसी वक्त आदिवासी भाजपा नेता ननकीराम कंवर को रायपुर में हाउस अरेस्ट कर दिया गया।
- इससे साफ है कि भाजपा आदिवासियों की आवाज़ दबा रही है, चाहे वह उनकी अपनी पार्टी के भीतर से ही क्यों न उठ रही हो।
- उन्होंने भाजपा सरकार पर “प्रशासनिक दलाली” करने और आदिवासी नेताओं की आवाज़ कुचलने का आरोप लगाया।

3. राजनीतिक मायने
- भाजपा की अंदरूनी कलह:
भाजपा की सरकार में अपने ही वरिष्ठ आदिवासी नेता का इस तरह विरोध करना और धरने पर उतर आना यह दिखाता है कि सरकार के भीतर मतभेद गहरे हैं। - कांग्रेस की रणनीति:
कांग्रेस (भूपेश बघेल और दीपक बैज दोनों) इस असंतोष को हथियार बना रही है और भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगा रही है। - अमित शाह का दौरा:
चूंकि यह सब गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के ठीक दौरान हुआ, इसलिए कांग्रेस इसे “डबल एक्सपोज़” कह रही है — एक ओर शाह आदिवासियों के विकास/सुरक्षा की बात करते हैं, और दूसरी ओर भाजपा का ही आदिवासी चेहरा हाउस अरेस्ट कर दिया जाता है।
4. आगे की संभावना
- ननकीराम कंवर अगर अपने धरने की घोषणा पर अड़े रहे तो यह मामला भाजपा के लिए गंभीर सिरदर्द बन सकता है।
- कांग्रेस इसे आदिवासी इलाकों में “भाजपा = आदिवासी विरोधी” नैरेटिव बनाने की कोशिश करेगी।
- सरकार को या तो कलेक्टर पर कार्रवाई करनी पड़ सकती है, या कंवर को मनाना पड़ेगा।
👉 कुल मिलाकर, यह प्रकरण सिर्फ एक कलेक्टर बनाम नेता का विवाद नहीं रह गया है, बल्कि अब यह भाजपा की अंदरूनी खींचतान + कांग्रेस का राजनीतिक हथियार बन चुका है।
