स्थान: गरियाबंद जिला, छत्तीसगढ़
कार्रवाई: वन विभाग की विशेष टीम द्वारा
प्रमुख अधिकारी: उपनिदेशक (Deputy Director) वरुण जैन
🎬 “पुष्पा-स्टाइल” का मतलब क्या है?
यह नाम तेलुगु फिल्म “पुष्पा: द राइज” से लिया गया है, जिसमें नायक लाल चंदन की तस्करी को चालाकी से करता है।
तस्करों ने उसी शैली में सागौन (Teak Wood) की तस्करी के लिए एक गैर-पारंपरिक, रचनात्मक लेकिन गैरकानूनी तरीका अपनाया था —
👉 वे लकड़ियों को ट्रकों या बैलगाड़ियों से नहीं, बल्कि नदी के बहाव के ज़रिए बहाकर भेजते थे।
तस्करी का तरीका
- दक्षिण उदंती इलाके में काटी गई सागौन लकड़ियों को 4-4 लठ्ठों में बाँधा जाता था।
- इन बंधे हुए गट्ठरों को नदी में बहा दिया जाता था ताकि वे पानी के साथ बहते हुए
सिंदूरशील और सुनाबेड़ा घाट (ओडिशा सीमा के पास) तक पहुँच जाएँ। - वहां पहले से तैनात साथी तस्कर उन्हें निकालकर ट्रकों से आगे भेज देते थे।
- इससे ट्रांसपोर्ट के सबूत नहीं मिलते थे और वन विभाग की नज़र से तस्करी छिपी रहती थी।
🦺 वन विभाग की कार्रवाई — सूझबूझ और जोखिमभरी ऑपरेशन
🔹 गुप्त सूचना और रणनीति
- उपनिदेशक वरुण जैन को कुछ दिन पहले गुप्त सूचना मिली कि नदी के रास्ते अवैध लकड़ी भेजी जा रही है।
- उन्होंने टीम बनाकर दक्षिण उदंती क्षेत्र में घेराबंदी की योजना बनाई।
- टीम ने नदी किनारे लगातार निगरानी रखी और एक ऑपरेशन के दौरान तस्करों को आते देख लिया।
🔹 कार्रवाई का घटनाक्रम
- जैसे ही तस्करों ने वनकर्मियों को देखा, वे मौके से भाग निकले।
- लेकिन विभाग के जवानों ने नदी में छलांग लगाकर बह रही लकड़ियों को निकाल लिया।
- इस बहादुरी से टीम ने दर्जनों सागौन लठ्ठे जब्त किए।
🪵 बरामदगी और जांच की स्थिति
- नदी से बरामद सभी लकड़ी कीमती सागौन (Tectona grandis) की बताई जा रही है।
- बरामद लठ्ठों का अनुमानित बाजार मूल्य कई लाख रुपये बताया गया है।
- तस्करों की पहचान कर ली गई है — सभी आरोपी ओडिशा राज्य के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
- विभाग ने FIR दर्ज कर गिरफ्तारी अभियान शुरू कर दिया है।
📈 दो वर्षों में 20 बड़े ऑपरेशन
- पिछले दो सालों में 80 से अधिक तस्कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
- 20 से अधिक सफल अभियान चलाकर लाखों की लकड़ी जब्त की गई है।
- साथ ही 50 से ज़्यादा वन्यजीव तस्करों पर भी कार्रवाई हुई है — यानी न सिर्फ पेड़ों बल्कि जीव-जंतुओं की अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लगाई जा रही है।
🌿 उदंती–सीता अभयारण्य का परिचय
- स्थापना: 1988
- क्षेत्रफल: लगभग 554 वर्ग किलोमीटर
- स्थान: गरियाबंद ज़िला, छत्तीसगढ़–ओडिशा सीमा क्षेत्र
- प्रसिद्ध वन्यजीव: जंगली भैंसा (Wild Buffalo), हिरण, भालू, साही, जंगली सूअर, कई पक्षी प्रजातियाँ
- वन संपदा: सागौन, साल, बांस, तेंदू, चार और औषधीय वनस्पतियाँ
- यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट्स में से एक है।
🚫 तस्करी की चुनौती — सीमा और संसाधन की कमी
उदंती–सीता अभयारण्य की ओडिशा सीमा से सटी लोकेशन तस्करी के लिए चुनौती बनती है।
- वन विभाग की टीम को सीमावर्ती नदी क्षेत्रों की निगरानी करनी पड़ती है।
- कई जगह घने जंगल और कमजोर नेटवर्क होने के कारण गश्त कठिन है।
- नदी मार्ग से होने वाली “silent smuggling” को पकड़ना और मुश्किल होता है।

🧠 प्रशासन की रणनीति आगे के लिए
- सीमा चौकियों (Check Posts) की संख्या बढ़ाने का निर्णय।
- ड्रोन सर्विलांस और कैमरा ट्रैप के माध्यम से निगरानी बढ़ाने की योजना।
- स्थानीय ग्रामीणों और मितानिन/वन समिति सदस्यों को “फॉरेस्ट गार्ड वॉलंटियर” के रूप में शामिल करने पर विचार।
- नदी मार्ग मॉनिटरिंग टीम को स्थायी तौर पर तैनात किया जाएगा।
👮 वरुण जैन (उपनिदेशक, उदंती–सीता अभयारण्य) का बयान
“हमारी प्राथमिकता तस्करों की पहचान और गिरफ्तारी है।
नदी मार्ग से लकड़ी भेजने का उनका यह नया तरीका इस बार नाकाम हो गया है।
हमारी टीम सतर्क है और सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और मजबूत की जा रही है।”
📌 मुख्य तथ्य एक नज़र में
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| क्षेत्र | उदंती–सीता अभयारण्य, गरियाबंद |
| विभागीय प्रमुख | उपनिदेशक वरुण जैन |
| तस्करी का तरीका | नदी में लकड़ियाँ बहाकर (पुष्पा-स्टाइल) |
| जब्त लकड़ी | सागौन (Tectona grandis) |
| बरामदगी | नदी से कई लठ्ठे |
| आरोपी | ओडिशा के निवासी |
| गिरफ्तार तस्कर (2 वर्ष) | लगभग 80 |
| बरामद लकड़ी | लाखों रुपए मूल्य की |
| नई रणनीति | सीमावर्ती निगरानी व नदी मॉनिटरिंग |
| प्रमुख सफलता | तस्करी की नई तरकीब नाकाम |
🪶 विश्लेषणात्मक दृष्टि से
यह कार्रवाई तीन स्तर पर महत्वपूर्ण है —
- पर्यावरणीय स्तर पर: सागौन जैसे धीमी गति से बढ़ने वाले पेड़ों की रक्षा से जैव-विविधता और मिट्टी संरक्षण में मदद मिलेगी।
- प्रशासनिक स्तर पर: सीमा-पार तस्करी रोकने में यह एक मॉडल ऑपरेशन साबित हो सकता है।
- सामाजिक स्तर पर: स्थानीय लोगों को जागरूक कर अगर निगरानी में जोड़ा जाए तो यह दीर्घकालिक समाधान होगा।
