Raipur (रायपुर), राजधानी Chhattisgarh राज्य में Police Commissionerate system (पुलिस कमिश्नर प्रणाली) लागू करने की तैयारी अंतिम चरण में है। कई समाचार स्रोतों और विवरणों के मुताबिक गृह विभाग ने इसके लिए तीन विकल्प तैयार कर रखे हैं। नीचे विस्तार से जानकारी है:
क्या कहा गया है और क्या तैयारी चल रही है
- राज्य की सरकार ने 17 अगस्त, 2025 को घोषणा की कि रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली जल्द लागू की जाएगी।
- पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने एक सात सदस्यों की टास्क फोर्स बनाई है, जो विभिन्न राज्यों के कमिश्नरेट मॉडलों (जैसे Bhubaneswar, Ludhiana आदि) का अध्ययन कर रही है.
- अध्ययन के आधार पर एक “हाइब्रिड मॉडल” तैयार किया जा रहा है, जिसमें कुछ राज्यों के मॉडल से सीख लेकर, रायपुर की शहरी / स्थानीय परिस्थितियों और आबादी की जरूरतों के अनुरूप संशोधन किया जाए।
- यह प्रस्ताव दो तरह से लागू हो सकता है: विधान द्वारा (एक विधेयक या कानून) या फिर राज्यकैबिनेट के आदेश द्वारा।
- कहा जा रहा है कि यदि कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है, तो इसे 1 नवंबर 2025 से लागू किया जा सकता है, जो कि राज्य के 25 वर्ष पूर्णता (Silver Jubilee) समारोह / राज्योत्सव (foundation day) से मिल रहा है।

🧭 संभावित तीन विकल्प (विकल्पों का सार)
खबरों में यह संकेत मिलता है कि गृह विभाग ने तीन विकल्प तैयार किए हैं। अभी स्थिति पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हो पाई है कि ये कौन-कौन से विकल्प होंगे, लेकिन स्रोतों से कुछ अनुमान मिलते हैं:
| विकल्प (संभावित मॉडल) | विवरण / अनुमानित बिंदु |
|---|---|
| विकल्प 1: पूर्ण कमिश्नरेट मॉडल | शहरी क्षेत्र (रायपुर) को पूर्ण रूप से कमिश्नरेट के अंतर्गत लाया जाएगा, जहाँ कमिश्नर पुलिस बल और राज्य की प्रशासनिक शक्तियाँ (magisterial powers) सीधे संभालेगा। |
| विकल्प 2: हाइब्रिड मॉडल | एक मिश्रित मॉडल जिसमें शहरी + ग्रामीण इलाकों को मिश्रित नियंत्रण में रखा जाए — कमिश्नर को कुछ शक्तियाँ दी जाएँ, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक जिले का SP / DM नियंत्रण बरकरार हो। समाचार में कहा गया है कि टास्क फोर्स ने अन्य राज्यों (ओडिशा, पंजाब आदि) के मॉडल से सीख लेकर एक हाइब्रिड मॉडल का मसौदा तैयार किया है. |
| विकल्प 3: क्रमिक / एक्सीक्यूटिव आदेश मॉडल | पहले कमिश्नरेट को कैबिनेट ऑर्डर या कार्यकारी आदेश (executive notification) से लागू किया जाए, बाद में विधान सभा में कानून बनाकर उसे औपचारिक रूप दिया जाए। यह विकल्प विधायिका से पहले तत्काल व्यवस्था लागू करने की सुविधा देता है। |
इन तीन विकल्पों का चयन इस पर निर्भर करेगा कि कौन सा तरीका कानूनी, प्रशासनिक और संसाधन दृष्टि से सटीक और व्यवहार में सुगम होगा।
✅ संभावित प्रभाव और तैयारी
- कमिश्नर को पुलिस + कुछ न्यायिक / magisterial शक्तियाँ दी जाएँगी, जिससे निर्णय लेने की गति तेज होगी (जैसे प्रदर्शनों की अनुमति, लाइसेंस जारी करना आदि)। वर्तमान में ये शक्तियाँ जिला कलेक्टर / जिला मजिस्ट्रेट के पास होती थीं।
- शहरी अपराध नियंत्रण, ट्रैफिक प्रबंधन, साइबर अपराध आदि मामलों में बेहतर ज़ोन आधारित व्यवस्था बनेगी — उदाहरण के लिए डिप्टी कमिश्नर (लोकेशन / क्षेत्र) होंगे।
- ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक पुलिस नियंत्रण जारी रह सकता है ताकि संसाधनों का विभाजन हो सके और दोनों-दोनों (शहरी + ग्रामीण) इलाकों की जरूरतों को ध्यान में रखा जाए।
🔮 आगे क्या हो सकता है
- दीवाली (उत्सव) के बाद होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय हो सकता है। अगर कैबिनेट मंज़ूरी दे देती है, तो 1 नवंबर से यह प्रणाली लागू हो सकती है।
- इस तारीख को राज्य का राज्योत्सव (foundation day / Silver Jubilee) समारोह भी है, जिससे यह बदलाव प्रतीकात्मक रूप से भी जुड़ता है।
