कांकेर (छत्तीसगढ़), 29 अक्टूबर 2025।
जिले में लंबे समय से सक्रिय रहे 21 नक्सलियों ने आज पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। यह आत्मसमर्पण कार्यक्रम जंगलवार कॉलेज परिसर में आयोजित हुआ, जहां सुरक्षा बलों और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में नक्सलियों ने अपने हथियार सौंपे।

🎖️ आत्मसमर्पण समारोह का दृश्य
कार्यक्रम में बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों का रेड कारपेट बिछाकर स्वागत किया और उन्हें भारतीय संविधान की प्रति भेंट की — यह प्रतीकात्मक gesture उनके लोकतांत्रिक पुनर्वास और सामाजिक पुनर्संरचना की दिशा में एक कदम है।
आईजी ने कहा कि “अब समय है कि जंगलों में छिपे नक्सली हथियार छोड़कर समाज और संविधान पर विश्वास करें। सरकार और पुलिस दोनों उनके पुनर्वास के लिए तैयार हैं।”
⚙️ नई रणनीति — “Encounter नहीं, Surrender को प्राथमिकता”
पुलिस विभाग ने हाल ही में नक्सल विरोधी अभियान की रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
- अब केवल मुठभेड़ों पर निर्भर रहने की बजाय,
- नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने और सुरक्षित पुनर्वास प्रदान करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
पुलिस का साफ संदेश है —
“जो हथियार छोड़कर समाज में लौटेगा, उसका स्वागत होगा;
और जो हिंसा का रास्ता अपनाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
इस रणनीति का सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहा है।
📊 हालिया आत्मसमर्पणों का प्रभाव
- इसी महीने जगदलपुर में 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनके पास से 109 हथियार बरामद किए गए थे।
- अब कांकेर जिले की दो एरिया कमेटियों के 21 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर 18 हथियार पुलिस को सौंपे हैं।
इन हथियारों में रायफल, भरमार बंदूक, देसी हथियार और विस्फोटक सामग्री भी शामिल है।
🧭 नक्सली संगठन की घटती ताकत
आईजी सुंदरराज ने बताया कि
“एक समय था जब नक्सल संगठन की पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में 45 सदस्य हुआ करते थे,
लेकिन अब उनकी संख्या घटकर सिर्फ 6 से 7 रह गई है।”
उन्होंने कहा कि यह आँकड़ा बताता है कि नक्सली आंदोलन अपनी जड़ें खो रहा है और अब उसका संगठनात्मक ढाँचा लगभग टूटने की स्थिति में है।
🕊️ पुलिस की अपील — “हथियार छोड़ें, शांति अपनाएँ”
आईजी सुंदरराज ने दक्षिण बस्तर के जंगलों में अब भी छिपे नक्सलियों से कहा —
“राज्य सरकार और पुलिस, दोनों आपके पुनर्वास के लिए तैयार हैं।
शांति का रास्ता अपनाइए, संविधान पर विश्वास रखिए,
अन्यथा सुरक्षा बल अपनी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
🛡️ पुनर्वास योजना — समाज में नई शुरुआत
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यमंत्री पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायता, आवास, शिक्षा व रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
उन्हें पुनर्वास शिविरों में रखकर समाज में समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले अधिकतर नक्सली DVC (Darbha Division Committee) और Kiskodo area के सदस्य रहे हैं।
📍 सारांश रूप में
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| जिला | कांकेर |
| आत्मसमर्पण स्थल | जंगलवार कॉलेज परिसर |
| नक्सलियों की संख्या | 21 |
| हथियारों की संख्या | 18 |
| मुख्य अधिकारी | बस्तर रेंज आईजी पी. सुंदरराज |
| पूर्व आत्मसमर्पण (जगदलपुर) | 208 नक्सली, 109 हथियार |
| रणनीति | मुठभेड़ की बजाय आत्मसमर्पण को प्राथमिकता |
| मुख्य संदेश | “हथियार छोड़ें, संविधान को अपनाएँ” |
✍️ निष्कर्ष
यह आत्मसमर्पण न केवल पुलिस और प्रशासन की “सॉफ्ट टारगेट” रणनीति की सफलता का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नक्सली अब जनसमर्थन और संगठनात्मक पकड़ खो चुके हैं।
बस्तर और आसपास के जिलों में लगातार बढ़ते आत्मसमर्पणों से उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ नक्सल-मुक्त दिशा की ओर अग्रसर होगा।
