1) कार्यक्रम-तिथि और सीएम का प्रचार-दौरा
- नुआपाड़ा विधानसभा की यह सीट दिवंगत बीजेडी नेता (राजेंद्र/रन्जेन्द्र ढोलकिया) के निधन के कारण रिक्त हुई थी और उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर 2025 को निश्चित किया गया है; नतीजे 14 नवंबर 2025 को घोषित होंगे।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 6 नवंबर को नुआपाड़ा में भाजपा के समर्थन में जनसभा/प्रचार करेंगे — वे पंचमपुर में सभा को संबोधित करने जा रहे हैं (संगठन के निर्देश के अनुसार पुरंदर मिश्रा व सह-प्रभारी लता उसेंडी भी प्रोत्साहन में सक्रिय)। यह यात्रा चुनावी रणनीति का हिस्सा है ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में वोटरों पर प्रभाव बन सके।
2) कौन-कौन मैदान में हैं / सीट का राजनीतिक मतलब
- भाजपा ने नुआपाड़ा में अपना उम्मीदवार जय (या जयं) ढोलकिया / Jay Dholakia मैदान में उतारा है (परिवार के राजनीतिक असर को पार्टी भुनाना चाहती है)। बीजेडी ने महिला प्रत्याशी स्नेहांगिनी चुरिया (Snehangini Chhuria) उतारी है जबकि कांग्रेस-समर्थक या अन्य स्थानीय दावेदार भी हैं — इसलिए यह मुकाबला स्थानीय पहचान, पारिवारिक सहानुभूति और राज्य-स्तरीय वैचारिक धकेल का समिश्रन है। (स्थानीय रिपोर्ट्स में नाम और फौज-बंदी का यह चिन्ह दिखता है)।

3) BJP का टॉप-लेवल मोर्चाबंदी — 40 स्टार प्रचारक
- भाजपा ने इस उपचुनाव के लिए 40 सदस्यीय स्टार-प्रचारक सूची जारी की है — सूची में ओडिशा के CM मोहन माढ़ी (Mohan Charan Majhi), केंद्र के कई मंत्री (जैसे धर्मेन्द्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव आदि) और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता (विष्णु देव साय सहित) शामिल हैं। पार्टी इस सीट को सियासी तौर पर महत्वपूर्ण मानकर हाई-प्रोफ़ाइल नेता तैनात कर रही है। यह भी दिखाता है कि भाजपा इस इलाके में पराक्रमी प्रदर्शन के लिए संसाधन लगा रही है।
4) एग्रीस्टेक/एग्री-पोर्टल और किसानों की शिकायतें
- खबरों के मुताबिक एग्रीस्टेक (AgriStack / कृषि-पोर्टल) पर रिकॉर्ड-पंजीकरण हुआ है — इस बार पिछले साल की तुलना में लगभग एक लाख अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया। पर कुछ किसान शिकायत कर रहे हैं कि उनके खेत का क्षेत्र (रकबा) या जमीन-विवरण सिस्टम पर कम दिख रहा है, यानी ई-KYC / भू-डेटा में विसंगतियाँ, डुप्लीकेशन और सर्वर/अपडेटिंग की खराबी आ रही है। अधिकारियों को इन गड़बड़ियों को तुरंत सुधारने के निर्देश दिए गए हैं, वरना खरीदी-अधिकार (MSP बिक्री) में किसानों को परेशानी होगी।
5) धान खरीदी — तारीखें और पारदर्शिता-तैयारी
- राज्य सरकार ने खरीफ विपणन-वर्ष के तहत धान खरीदी 15 नवंबर 2025 से शुरू करने का फैसला किया है (खरीदी अवधि आमतौर पर 15 नवम्बर से 31 जनवरी तक बताई जा रही है)। सरकार ने खरीदी को पारदर्शी बनाने के लिए ई-KYC अनिवार्य किया, बायोमेट्रिक सत्यापन और ‘इंटीग्रेटेड कमांड-एंड-कंट्रोल’ (मार्कफेड कार्यालय/केंद्र) जैसी निगरानी व कंट्रोल-रूम की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है ताकि खरीदी प्रक्रिया में धांधली, डुप्लीकेशन या सीमा पार अवैध आवक रोकी जा सके। इनमें भुगतान समयसीमा (खरीदी के बाद ~6–7 दिन में भुगतान) और प्रति-क्विन्टल बोनस/रेट-निर्धारण जैसे प्रावधान भी सार्वजनिक किए गए हैं। यह वही कारण है कि ई-KYC/Agri-portal की समस्याएं तत्काल संवेदनशील हैं।
6) बिहार चुनाव पर सीएम के बयान (संदर्भ)
- आपने जो उद्धरण दिया कि CM साय ने पटना में कहा “एनडीए स्पष्ट बहुमत से सरकार बना रहा है” — यह केंद्र/राज्य-स्तरीय चुनावी रैलियों के सिलसिले में दिया गया राजनीतिक बयान है, और इससे साफ़ होता है कि भाजपा-नेता बिहार में भी सक्रिय प्रचार कर रहे हैं और ‘विकास/स्थिरता’ का संदेश दे रहे हैं। (सूत्र: PTI/रायल रिपोर्ट्स)।
इन घटनाओं का संभावित असर — संक्षेप में (क्या मायने रखता है)
- स्थानीय राजनीति: नुआपाड़ा जैसे सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्रों में जीत-हार नज़दीकी राज्यों की पार्टियों के राजनीतिक मनोविज्ञान को प्रभावित करती है — इसलिए दोनों दल हाई-प्रोफ़ाइल प्रचारक भेज रहे हैं।
- किसानों की चिंता = चुनावी मुद्दा: अगर Agri-portal / ई-KYC में गलतियाँ बाकी रहीं तो कुछ किसानों का MSP से लाभ छिन सकता है — जो स्थानीय वोट-बहाव पर असर डाल सकता है। सरकार ने खरीदी की तारीख पहले ही घोषित कर दी है; इसलिए फील्ड-लेवल पर पंजीकरण सुधारना प्राथमिकता बन गया है.
- पारदर्शिता से राजनीतिक दाव-पेंच: सरकार का कमांड-एंड-कंट्रोल स्थापित करना यह दिखाता है कि खरीदी में गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने और भुगतान-शिकायतें जल्दी सुलझाने का इरादा है — पर अमल कैसे होगा, यह ज़मीनी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगा।
- राजनीतिक सन्देश: सीएम साय का बिहार-बयान और ओडिशा-प्रचार दोनों यह संकेत देते हैं कि भाजपा “विकास-विज्ञापन” और राष्ट्रीय-दल के समर्थन के संदेश को चुनावी तरीके से जोड़ रही है — यह रणनीति छोटे/मझोले चुनावों में भी चलता देखा जा रहा है।
