- NDA ने भारी जीत दर्ज की — कुल ~202 सीटें (243 में से)। यह आंकड़ा ECI और प्रमुख खबरों में कंसोलिडेटेड रूप से रिपोर्ट हुआ है; BJP अब एकल-सबसे बड़ी पार्टी बनी और NDA को दो-तिहाई से करीब-क़रीब बहुमत मिला।
- महागठबंधन (MGB) ~35 सीटों पर सिमटा रहा; कांग्रेस सिर्फ़ कुछ सीटों (लगभग 6) में रह गई।
- AIMIM/ओवैसी ने सीमांचल में सेंध लगाई और लगभग 5 सीटें हासिल कीं — सीमांचल में मुस्लिम वोटों का RJD से कुछ हिस्से में टूटना प्रमुख वजह माना जा रहा है।
- 29 मंत्रियों में से अधिकांश विजयी — कहा जा रहा है कि केवल एक-दो मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा और अधिकतर मंत्री अपने-अपने सीटों पर आगे रहे/जीते — (लोकल कवरेज/लाइव ट्रेन्ड ने इस बात को रिपोर्ट किया)।
- नीतीश कुमार रिकॉर्ड (10वीं बार) मुख्यमंत्री बनने की तरफ़ हैं — राज्य में लंबे समय का राजनीतिक नेतृत्व बरकरार।

NDA की जीत — पाँच प्रमुख वजह (विस्तार)
- लाभार्थी-इन्क्रीमेंट और महिला/घरेलू वोट
केंद्र-राज्य की नीतियों (नकद/ट्रांसफर, वृद्धावस्था-पेंशन-इत्यादि) का सीधा असर हुआ — महिलाओं और निम्न-मध्यम वर्ग के वोटरों में NDA-संदेश अधिक प्रभावी था। कई कवरेज ने इसे निर्णायक बताया - “डबल-इंजन” व स्टेबल-गवर्नेंस का संदेश
केंद्र-राज्य दोनों पर NDA-सत्ता की बहाली — स्थिरता/इन्फ्रास्ट्रक्चर/कानून-व्यवस्था का वादा — शहर-गांव दोनों जगह सोचा गया, और यह चुनावी लाभ में बदला। - कठोर कानून-व्यवस्था-थीम और ‘जंगलराज’ स्मृति का मुद्दा
विपक्ष के पुराने शासनकाल की कथित ‘अराजकता’ का मुद्दा (वोटर की सुरक्षा/भय) पर NDA ने प्रभावी रूप से सरल संदेश दिया; यह विशेषकर नौजवान/बीपीओ/मध्यम वर्ग पर असरदार रहा। - बेहतर संगठन और समय पर उम्मीदवार-घोषणा
आपूर्ति-श्रृंखला जैसा चुनावी संगठन, बूथ-लेवल मैनेजमेंट और बड़े नेताओं (PM, Amit Shah, CM नीतीश) की सक्रिय रैलियाँ — सबने वोटरों तक संदेश पहुँचाया - स्थानीय नेता (बाहुबली/काथर) का असर और क्षेत्रीय समीकरण
जहां-जहाँ बाहुबली (strongmen) अपने क्षेत्र में उतने सक्रिय/लोक-संबंधी रहे — वहाँ NDA-गठबंधन ने फायदा उठाया; कुछ बाहुबली प्रतिद्वंद्वियों की हार के बावजूद कई जीतें भी रहीं (नीचे ‘बाहुबली’ सेक्शन देखें)।
महागठबंधन (MGB) की हार के कारण — पाँच प्रमुख बिंदु (विस्तार)
- “MY (Muslim–Yadav) समीकरण” का टूटना
पारंपरिक Yadav + मुस्लिम समेकन इस बार जगह-जगह टूटा; सीमांचल में AIMIM ने मुस्लिम वोटों को खींचा—इसने RJD को खास नुकसान पहुंचाया। - AIMIM का सीमांचल में उभार
ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में निर्णायक प्रभाव दिखाया — कुछ सीटें AIMIM ने जीती/कठोर चुनौती दी, जिससे RJD-आधारित महागठबंधन की पकड़ कमजोर पड़ी। - संदेश की कमजोरी — ‘जन-सुराज’ और घोषणाएँ जमीन पर न चल पाईं
महागठबंधन के घोषणात्मक/भविष्य-प्रधान संदेशों की तुलना में NDA के ‘तुरंत लागू’ नीतिगत दावों का असर ज़्यादा दिखा। - सीट-वाटवाट और अंदरूनी कलह
कुछ क्षेत्रों में सीट-वाटवाट विवाद व ‘फ्रेंडली-फाइट’ (एक ही गठबंधन के सहयोगी एक दूसरे के खिलाफ) ने वोट कटाव/गठबंधन को नुक़सान पहुंचाया। - केंद्रीय हाई-कमान की सीमित उपस्थिति/प्रचार
कुछ कवरेज में यह दिखा कि कांग्रेस/केंद्रीय नेताओं की सक्रियता अपेक्षित स्तर पर नहीं रही — इसका स्थानीय मोटिवेशन और साझा-प्रेरणा पर असर पड़ा।
सीमांचल और AIMIM — क्या हुआ, क्यों महत्वपूर्ण है
- सीमांचल (उत्तर-पूर्व बिहार) में AIMIM ने RJD के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक से मत खींचे और कई सीटों पर निर्णायक बने — इससे RJD की सीट-संख्या पर प्रत्यक्ष असर पड़ा। यह ‘लोकल-कमीशनिंग’ और धार्मिक/समुदाय-आधारित नए गेम-चेंजर का संकेत है।
बाहुबालियों (strongmen) का हाल — प्रमुख सीट-स्तर अपडेट (संक्षेप)
- मोकामा — अनंत सिंह (JDU/ND A) — जीत। (जेल से लड़े, बड़ी जीत)।
- मोकामा — वीणा देवी (सूरजभान की पत्नी, RJD) — हारी (अनंत सिंह से
- दानापुर — रामकृपाल यादव (BJP) — जीते; रीतलाल यादव (RJD) हारे।
- कुचायकोट — अमरेंद्र कुमार पांडेय (JD(U)) — जीत।
- मांझी — रणधीर कुमार सिंह (JDU) — जीत। (बाहुबली/परिवार संबंधी पृष्ठभूमि)
- रघुनाथपुर — ओसामा शाहब (RJD, शाहबुद्दीन के बेटे) — जीत/आगे चल रहे—वॉइस रिपोर्ट्स के मुताबिक मजबूत बढ़त और अंततः जीत दर्ज।
- ब्रह्मपुर — हुलास पांडे (LJP(RV) / बाहुबली परिवार संबंधी) — कड़े मुकाबले में हार; सीट RJD के हाथ रही (Shambhu Nath Yadav जीते)।
- तरारी — विशाल/विषाल प्रशांत (BJP) — जीत (परिवार/क्षेत्रीय बाहुबली दावों पर असर अलग-अलग)।
सार: कुछ पारंपरिक बाहुबली — जैसे अनंत सिंह — जीत गए और अपनी पकड़ बनाए रखी; कई अन्य बाहुबाली-परिवार (जितनी बार आपने उल्लेख किया) में मिली-जुली तस्वीर नजर आई — कुछ की जीत, कुछ की हार। कुल मिलाकर “बाहुबली राजनीति” पूरी तरह खत्म नहीं हुई; पर उसका प्रभाव हर जगह समान नहीं रहा।
राजनीतिक निहितार्थ — आगे क्या देखने लायक है
- नीतीश-नेतृत्व की मजबूती + केंद्र-राज्य तालमेल — NDA का यह जनादेश केंद्र-स्तर पर भी BJP/NDA को मजबूती देता है; विकास-एजेंडा को लागू करने में गति मिलेगी।
- RJD/महागठबंधन को रणनीतिक पुनर्रचना करनी होगी — सीमांचल में AIMIM के प्रभाव और MY समीकरण के टूटने के बाद RJD-नीतियों में बदलाव की आवश्यकता स्पष्ट है।
- राष्ट्रीय राजनीति पर असर — यह नतीजा 2026/2027 के अन्य चुनावों के लिहाज़ से BJP/NDA के लिए सकारात्मक संकेत माना जाएगा।
- स्थानीय नेताओं (बहुबली) का रोल — कुछ बाहुबालियों ने जीत कर दिखाया कि क्षेत्रीय प्रभाव अभी जीवित है; पर हर जगह ये प्रभाव घटा भी है — इसलिए पार्टियों को उम्मीदवार-चयन पर और कड़ा ध्यान देना होगा
