रायपुर। राजधानी की विशेष अदालत (एनडीपीएस एक्ट) ने 21 किलो मादक पदार्थ गांजा के साथ पकड़े गए तीन आरोपियों को दोषी मानते हुए 10-10 साल कठोर कारावास और एक-एक लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। यदि अर्थदंड का भुगतान न हुआ तो कोर्ट ने प्रत्येक पर दो-दो साल अतिरिक्त कठोर कारावास का प्रावधान रखा है।
गिरफ्तारी और बरामदगी — कहाँ, कब और कैसे
आदालत के सामने पेश की गई दलीलों के अनुसार मामला टाटीबंध/आमानाका थाना क्षेत्र से जुड़ा है। राज्य पुलिस ने सूचना के आधार पर 17 दिसंबर 2020 को रोड-जाँच के दौरान टाटीबंध स्थित मुर्गन ट्रांसपोर्ट के सामने तीनों अभियुक्तों को पकड़ा था — जिनके पास कुल मिलाकर लगभग 21 किलो गांजा बरामद किया गया था (सूर्यकांत नाग के पास ~11 किलो; उमेश मनहीरा और धीरेन्द्र मिश्रा के पास 5-5 किलो)। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपियों का गांजा तस्करी में लंबे समय से संलिप्त होना भी सामने आया।
कोर्ट-कार्रवाई और तर्क — अभियोजन का रुख
विशेष लोक अभियोजक क.के. चन्द्राकर ने अदालत में कहा कि गांजा जैसे मादक पदार्थों की तस्करी से युवाओं में नशे की लत बढ़ती है और इससे समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है; इसलिए आरोपियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है। अभियोजन ने विनती की कि दोष सिद्ध पाए जाने पर अधिकतम दंड दिया जाए। बचाव-पक्ष ने उम्र और “पहली गलती” जैसे कारणों का हवाला देते हुए दया की मांग की, पर अदालत ने सबूतों के आधार पर सजा सुनाई। अंतिम सुनवाई हाल ही में विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की अदालत में पूरी हुई।
सजा का असर और कानूनी विकल्प
- अदालत ने दोषियों को कठोर कारावास और जुर्माना दोनों की सजा सुनाई है; जुर्माना न देने पर अतिरिक्त जेल-सज़ा का प्रावधान लागू होगा।
- साधारणतः ऐसे मामलों में प्रतिवादी अपील का अधिकार रखते हैं — वे उच्च न्यायालय में सजा चुनौती दे सकते हैं। (यदि आप चाहें, तो मैं उपलब्ध सार्वजनिक रेकॉर्ड देखकर इस मामले में दाख़िल किसी संभावित अपील-अदालत-नोटिस या अगली सुनवाई की स्थिति भी देख कर दे सकता/सकती हूँ)।
सामाजिक-नैतिक संदर्भ और पुलिस-कार्यवाही
प्रहरीय कार्रवाई और कड़ी सजा से यह संदेश जाता है कि स्थानीय न्यायालय मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ सख्ती बरत रहे हैं। अभियोजन ने कहा कि आरोपी लंबे समय से तस्करी में सक्रिय थे और क्षेत्रीय आपूर्ति-शृंखला में शामिल थे — ऐसे मामलों में पुलिस जांच और गवाहियों (यहाँ—16 गवाहों का हवाला कुछ रिपोर्टों में मिला है) का महत्त्व बढ़ जाता है।

