छत्तीसगढ़ में 4,000 कमर्शियल बकायादारों के स्मार्ट-मिटर + GPS कनेक्शन काटने की योजना
स्थिति का परिप्रेक्ष्य
- बकाया और वसूली की समस्या
- छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी (ओएण्डएम सर्किल) ने उन लगभग 4,000 कमर्शियल उपभोक्ताओं की सूची तैयार की है, जिन्होंने लंबे समय से अपने बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है।
- ये डिवीजन विशेष रूप से बिलासपुर, मुंगेली और पेण्ड्रा ओएण्डएम डिवीजन शामिल हैं।

- तकनीकी परिवर्तन – स्मार्ट मीटर
- पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को धीरे-धीरे स्मार्ट मीटर से बदलने का काम जारी है।
- ओएण्डएम सर्किल के तीनों डिवीजनों में अब तक 1.61 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। (आपके दिये विवरण के अनुसार)
- शहर में भी स्मार्ट मीटर लगाने का काम जारी है — सिटी सर्किल में लगभग 80 हज़ार मीटर बदल चुके हैं।
- GPS का इस्तेमाल कनेक्शन काटने में
- पिछली प्रणाली में, जिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं भरा हो, विभाग कर्मचारियों को भेजकर उनके घरों तक जाना पड़ता था और खंभे से कनेक्शन काटा जाता था।
- लेकिन अब, स्मार्ट मीटर + GPS प्रणाली के ज़रिए, विद्युत कार्यालय से ही रिमोट डिस्कनेक्शन किया जा सकेगा।
- योजना यह है कि 3 दिन पहले SMS भेजकर बकायादारों को भुगतान का आखिरी मौका दिया जाएगा; उसके बाद भुगतान न होने पर सिस्टम GPS से कनेक्शन काट देगा।
- पहले से हुई कार्रवाई
- पहले ही ऐसे कुछ मामले हुए हैं, जब 1,400 घरेलू बकायादारों का कनेक्शन स्मार्ट मीटर + GPS के ज़रिए काटा गया था।
- इस कार्रवाई के बाद विभाग ने बकाया राशि की वसूली में सफलताएं भी पाई हैं।
- पहनाएं और वसूली अभियान
- इस कदम के पीछे विभाग की मंशा है कि बकाया राशि में कमी लाई जाए और कमर्शियल कनेक्शन वालों से प्रभावी वसूली की जाए।
- स्मार्ट मीटर लगाने और GPS डिस्कनेक्शन जैसी तकनीकों के माध्यम से, बकायादारों पर वसूली का “दबाव” बढ़ाया जा रहा है।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
- वसूली में तेजी
- रिमोट डिस्कनेक्शन की व्यवस्था से विभाग को उपभोक्ता तक जाने के लिए समय और लागत कम करनी होगी।
- यह तकनीक अधिक “प्रभावशाली डर” पैदा कर सकती है: बकायादारों को पता है कि कनेक्शन काटा जा सकता है, इसलिए भुगतान करने की प्रेरणा बढ़ सकती है।
- उपभोक्ता असंतोष / जोखिम
- कुछ उपभोक्ताओं के लिए यह कदम बहुत कठोर लग सकता है, विशेषकर छोटे व्यवसाय या कंजूमर जिनकी आय सीमित है।
- अगर गलती से रीडिंग गलत हो जाए, तो रिमोट डिस्कनेक्शन बड़े विवाद का कारण बन सकता है।
- टेक्निकल खामियों की आशंका: स्मार्ट मीटर या GPS सिस्टम में गड़बड़ी होने पर सशंका बढ़ सकती है।
- नियामक और कानूनी दृष्टिकोण
- विद्युत वितरण कंपनी को उपभोक्ताओं के अधिकारों, शिकायत निवारण एवं पुन: कनेक्शन के नियमों को ध्यान में रखना होगा।
- यदि उपभोक्ता को रिमोट कट के बाद पुन: कनेक्शन चाहिए, तो उसके लिए स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए।
- लॉन्ग टर्म फायदे
- अगर काम सफल होता है, तो यह मॉडल बकायादारों से वसूली के लिए एक मॉडल बन सकता है।
- स्मार्ट मीटर + GPS जैसी तकनीकें पारदर्शिता बढ़ा सकती हैं और बिजली चोरी तथा गैर-भुगतान में कमी ला सकती हैं।
- यह वितरण कंपनी की राजस्व स्थिति और वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, जिससे बेहतर सेवा, रखरखाव और विस्तार संभव हो सकता है।
संबद्ध अन्य प्रासंगिक खबरें और संदर्भ
- छत्तीसगढ़ में स्मार्ट मीटर लगाने की गति धीमी पड़ चुकी है — कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि अभी तक केवल 30% मीटर ही बदले गए हैं। Nai Dunia
- जून 2025 से छत्तीसगढ़ में प्रीपेड स्मार्ट मीटर सिस्टम लागू किया जाना था — यानी उपभोक्ताओं को पहले “रिचार्ज” करना होगा और बैलेंस ख़त्म होने पर बिजली अपने आप बंद हो जाएगी। Asian News Bharat+1
- बकाया राशि की समस्या सिर्फ कमर्शियल उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं है — कोरिया जिले में निजी उपभोक्ताओं पर 39 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। https://mpcg.ndtv.in/
- साथ ही, स्मार्ट मीटर की वजह से कुछ उपभोक्ताओं ने बहुत बड़े बिजली बिल की शिकायत भी की है — मीडिया रिपोर्ट्स में उदाहरण दिए गए हैं कि कुछ को एक बत्ती जलाने पर ही बहुत अधिक बिल मिल गया। The Sootr
निष्कर्ष
- यह कदम छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी की जबरदस्त रणनीति है बकायादारों से वसूली बढ़ाने के लिए — पारंपरिक “मैन्युअल डिस्कनेक्शन” के बजाय हाई-टेक समाधान अपनाकर।
- यदि सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह मॉडल विभाग को वित्तीय मजबूती दे सकता है और बिजली चोरी / बकाया भुगतान की समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है।
- लेकिन इसे लागू करते समय उपभोक्ता संरक्षण, नीति पारदर्शिता और शिकायत समाधान तंत्र को बहुत ध्यान में रखना होगा, ताकि गरीब और छोटे व्यवसायों पर अनुचित दबाव न पड़े।
- यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में यह योजना कितनी कारगर साबित होती है, और क्या अन्य बिजली वितरण कंपनियां भी इस मॉडल को अपनाएंगी।
स्थिति का परिप्रेक्ष्य
- बकाया और वसूली की समस्या
- छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी (ओएण्डएम सर्किल) ने उन लगभग 4,000 कमर्शियल उपभोक्ताओं की सूची तैयार की है, जिन्होंने लंबे समय से अपने बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है।
- ये डिवीजन विशेष रूप से बिलासपुर, मुंगेली और पेण्ड्रा ओएण्डएम डिवीजन शामिल हैं।
- तकनीकी परिवर्तन – स्मार्ट मीटर
- पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को धीरे-धीरे स्मार्ट मीटर से बदलने का काम जारी है।
- ओएण्डएम सर्किल के तीनों डिवीजनों में अब तक 1.61 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। (आपके दिये विवरण के अनुसार)
- शहर में भी स्मार्ट मीटर लगाने का काम जारी है — सिटी सर्किल में लगभग 80 हज़ार मीटर बदल चुके हैं।
- GPS का इस्तेमाल कनेक्शन काटने में
- पिछली प्रणाली में, जिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं भरा हो, विभाग कर्मचारियों को भेजकर उनके घरों तक जाना पड़ता था और खंभे से कनेक्शन काटा जाता था।
- लेकिन अब, स्मार्ट मीटर + GPS प्रणाली के ज़रिए, विद्युत कार्यालय से ही रिमोट डिस्कनेक्शन किया जा सकेगा।
- योजना यह है कि 3 दिन पहले SMS भेजकर बकायादारों को भुगतान का आखिरी मौका दिया जाएगा; उसके बाद भुगतान न होने पर सिस्टम GPS से कनेक्शन काट देगा।
- पहले से हुई कार्रवाई
- पहले ही ऐसे कुछ मामले हुए हैं, जब 1,400 घरेलू बकायादारों का कनेक्शन स्मार्ट मीटर + GPS के ज़रिए काटा गया था।
- इस कार्रवाई के बाद विभाग ने बकाया राशि की वसूली में सफलताएं भी पाई हैं।
- पहनाएं और वसूली अभियान
- इस कदम के पीछे विभाग की मंशा है कि बकाया राशि में कमी लाई जाए और कमर्शियल कनेक्शन वालों से प्रभावी वसूली की जाए।
- स्मार्ट मीटर लगाने और GPS डिस्कनेक्शन जैसी तकनीकों के माध्यम से, बकायादारों पर वसूली का “दबाव” बढ़ाया जा रहा है।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
- वसूली में तेजी
- रिमोट डिस्कनेक्शन की व्यवस्था से विभाग को उपभोक्ता तक जाने के लिए समय और लागत कम करनी होगी।
- यह तकनीक अधिक “प्रभावशाली डर” पैदा कर सकती है: बकायादारों को पता है कि कनेक्शन काटा जा सकता है, इसलिए भुगतान करने की प्रेरणा बढ़ सकती है।
- उपभोक्ता असंतोष / जोखिम
- कुछ उपभोक्ताओं के लिए यह कदम बहुत कठोर लग सकता है, विशेषकर छोटे व्यवसाय या कंजूमर जिनकी आय सीमित है।
- अगर गलती से रीडिंग गलत हो जाए, तो रिमोट डिस्कनेक्शन बड़े विवाद का कारण बन सकता है।
- टेक्निकल खामियों की आशंका: स्मार्ट मीटर या GPS सिस्टम में गड़बड़ी होने पर सशंका बढ़ सकती है।
- नियामक और कानूनी दृष्टिकोण
- विद्युत वितरण कंपनी को उपभोक्ताओं के अधिकारों, शिकायत निवारण एवं पुन: कनेक्शन के नियमों को ध्यान में रखना होगा।
- यदि उपभोक्ता को रिमोट कट के बाद पुन: कनेक्शन चाहिए, तो उसके लिए स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए।
- लॉन्ग टर्म फायदे
- अगर काम सफल होता है, तो यह मॉडल बकायादारों से वसूली के लिए एक मॉडल बन सकता है।
- स्मार्ट मीटर + GPS जैसी तकनीकें पारदर्शिता बढ़ा सकती हैं और बिजली चोरी तथा गैर-भुगतान में कमी ला सकती हैं।
- यह वितरण कंपनी की राजस्व स्थिति और वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, जिससे बेहतर सेवा, रखरखाव और विस्तार संभव हो सकता है।
संबद्ध अन्य प्रासंगिक खबरें और संदर्भ
- छत्तीसगढ़ में स्मार्ट मीटर लगाने की गति धीमी पड़ चुकी है — कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि अभी तक केवल 30% मीटर ही बदले गए हैं। Nai Dunia
- जून 2025 से छत्तीसगढ़ में प्रीपेड स्मार्ट मीटर सिस्टम लागू किया जाना था — यानी उपभोक्ताओं को पहले “रिचार्ज” करना होगा और बैलेंस ख़त्म होने पर बिजली अपने आप बंद हो जाएगी। Asian News Bharat+1
- बकाया राशि की समस्या सिर्फ कमर्शियल उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं है — कोरिया जिले में निजी उपभोक्ताओं पर 39 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। https://mpcg.ndtv.in/
- साथ ही, स्मार्ट मीटर की वजह से कुछ उपभोक्ताओं ने बहुत बड़े बिजली बिल की शिकायत भी की है — मीडिया रिपोर्ट्स में उदाहरण दिए गए हैं कि कुछ को एक बत्ती जलाने पर ही बहुत अधिक बिल मिल गया। The Sootr
निष्कर्ष
- यह कदम छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी की जबरदस्त रणनीति है बकायादारों से वसूली बढ़ाने के लिए — पारंपरिक “मैन्युअल डिस्कनेक्शन” के बजाय हाई-टेक समाधान अपनाकर।
- यदि सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह मॉडल विभाग को वित्तीय मजबूती दे सकता है और बिजली चोरी / बकाया भुगतान की समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है।
- लेकिन इसे लागू करते समय उपभोक्ता संरक्षण, नीति पारदर्शिता और शिकायत समाधान तंत्र को बहुत ध्यान में रखना होगा, ताकि गरीब और छोटे व्यवसायों पर अनुचित दबाव न पड़े।
- यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में यह योजना कितनी कारगर साबित होती है, और क्या अन्य बिजली वितरण कंपनियां भी इस मॉडल को अपनाएंगी।
