केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: अब वाट्सएप-टेलिग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप तभी चलेंगे, जब फोन में सक्रिय सिम कार्ड होगा | नई साइबर सिक्योरिटी गाइडलाइन लागू

केंद्र सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने और डिजिटल कम्युनिकेशन को सुरक्षित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। दूरसंचार साइबर सुरक्षा (संशोधन) नियम, 2025 के तहत सरकार ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स के उपयोग के तरीके में अहम बदलाव किए हैं। अब वाट्सएप, टेलिग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट, अरात्ताई और जोश जैसे ऐप तभी काम करेंगे, जब उपयोगकर्ता के डिवाइस में सक्रिय सिम कार्ड मौजूद होगा।
क्या बदला है?
- नए नियमों के तहत ऐप-आधारित कम्युनिकेशन सर्विसेज को पहली बार टेलीकॉम रेग्युलेशन के दायरे में लाया गया है।
- इसका मतलब यह है कि जो सेवाएं अभी सिर्फ इंटरनेट-आधारित थीं, उन्हें अब टेलीकॉम की तरह नियंत्रित किया जाएगा।
- सरकार का कहना है कि इससे फेक अकाउंट, अनवेरिफाइड यूज़र्स, साइबर फ्रॉड, फिशिंग और टेरर मॉड्यूल्स के गैर-कानूनी कम्युनिकेशन पर लगाम लगेगी।
कैसे लागू होगा नया नियम?
- कोई भी मैसेजिंग ऐप फोन में तभी सक्रिय होगा, जब डिवाइस में लगा सिम कार्ड सक्रिय (Active) और मान्य (Valid) हो।
- बिना सिम या सिर्फ वाई-फाई पर लॉगिन किए गए अकाउंट्स का उपयोग सीमित या बंद किया जा सकता है।
- ऐप कंपनियों को सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपने प्लेटफॉर्म को तकनीकी रूप से तैयार करना होगा।
सरकार क्यों ला रही है यह सिस्टम?
- बढ़ते साइबर क्राइम और ऑनलाइन फ्रॉड पर नियंत्रण।
- अनवेरिफाइड नंबरों से फर्जी चैट, धमकी, ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी रोकना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को ट्रेसबिलिटी और मॉनिटरिंग में मदद।
- टेलीकॉम और OTT मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के बीच समान नियम लागू करना।
किस-किस ऐप पर पड़ेगा असर?
- Telegram
- Signal
- Snapchat
- ShareChat
- JioChat
- Arattai
- Josh
इन ऐप्स को अब नए साइबर सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।
उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- आम यूज़र्स को बस यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके फोन में सक्रिय सिम हो।
- यदि कोई फोन बिना सिम के सिर्फ वाई-फाई पर चलता है, तो इन ऐप्स का उपयोग प्रभावित होगा।
- विदेशी या अस्थायी सिम कार्ड से जुड़े अकाउंट्स पर भी अतिरिक्त सत्यापन की मांग हो सकती है।
