रायपुर: छत्तीसगढ़ में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब आगामी शिक्षा सत्र से बच्चों का प्रवेश केवल कक्षा पहली से होगा। इसके तहत पहले जो बीपीएल बच्चों का प्रवेश एंट्री क्लास (नर्सरी/केजी) में होता था, उसे अब समाप्त कर दिया गया है।

🔹 प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव
- शिक्षा विभाग ने आरटीई की धारा 12(1)(ग) के प्रावधान के अनुसार निजी स्कूलों में केवल कक्षा पहली में प्रवेश देने की अनुमति शासन को प्रस्तावित की।
- शासन ने इसे स्वीकृति दे दी है।
- अब तक निजी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश नर्सरी, केजी वन या कक्षा पहली में होता था, लेकिन अब एंट्री क्लास की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।
🔹 बदलाव का कारण
- आरटीई लागू होने के शुरुआती वर्षों में प्रवेश कक्षा पहली में ही दिया जाता था।
- निजी स्कूलों की मांग और बच्चों की पढ़ाई में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए राज्य शासन ने कुछ साल पहले एंट्री क्लास की व्यवस्था बनाई थी।
- अब फिर से नियम बदलकर कक्षा पहली से प्रवेश अनिवार्य कर दिया गया है।
- अधिकांश निजी स्कूल बच्चों को नर्सरी/केजी वन से प्रवेश देते हैं।
🔹 प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का विरोध
- छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने इस बदलाव का विरोध किया है।
- उनका कहना है कि बीपीएल बच्चों के लिए कक्षा पहली से प्रवेश देना कठिन होगा।
- इससे बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा, अन्य बच्चों के मुकाबले वे पीछे रह जाएंगे और ड्रॉपआउट की संभावना बढ़ेगी।
- उनका आरोप है कि यह नियम केवल राज्य के खर्च को बचाने के लिए बनाया गया है, लेकिन बच्चों के लिए हानिकारक है।
🔹 आरटीई के तहत फीस में स्थिरता
- आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों की फीस 2011 से बढ़ी नहीं है।
- फीस का विवरण इस प्रकार है:
- कक्षा 1–5: 7,000 रुपए/वर्ष + 540 रुपए यूनिफॉर्म
- कक्षा 6–8: 11,500 रुपए/वर्ष + 1,000 रुपए यूनिफॉर्म
- कक्षा 9–12: 15,000 रुपए/वर्ष + 1,000 रुपए यूनिफॉर्म
- प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कई बार फीस बढ़ाने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई।
🔹 असर और चर्चा
- इस बदलाव से बीपीएल बच्चों की पढ़ाई और सामाजिक समावेशन पर असर पड़ सकता है।
- राज्य सरकार का उद्देश्य एंट्री क्लास पर होने वाले खर्च को कम करना है।
- वहीं, स्कूल संचालकों और एसोसिएशन का तर्क है कि बच्चों के शैक्षणिक हितों को ध्यान में रखते हुए नर्सरी/केजी से प्रवेश जारी रखना चाहिए।
👉 कुल मिलाकर, RTE के तहत प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव बच्चों, अभिभावकों और निजी स्कूलों के लिए महत्वपूर्ण और चर्चा का विषय बन गया है।
