जगदलपुर में बस्तर के उद्यमियों को नया बाजार और नई पहचान दिलाने की दिशा में ग्रीन पैकेजिंग को लेकर एक अहम पहल की गई। जगदलपुर कलेक्टोरेट के प्रेरणा कक्ष में आयोजित विशेष कार्यशाला का उद्देश्य एमएसएमई उद्यमियों और स्व-सहायता समूहों को नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और बाजार की नई संभावनाओं से जोड़ना रहा।
बड़ी संख्या में पहुंचे स्थानीय उद्यमी
इस कार्यशाला में स्थानीय उद्यमियों, स्व-सहायता समूहों और युवा व्यवसायियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। विशेषज्ञों ने पर्यावरण अनुकूल (इको-फ्रेंडली) पैकेजिंग से जुड़ी तकनीकी जानकारी साझा की और बताया कि किस तरह प्लास्टिक के विकल्प के रूप में टिकाऊ पैकेजिंग को अपनाया जा सकता है।

स्थानीय संसाधनों से टिकाऊ पैकेजिंग पर जोर
कार्यशाला में खास तौर पर स्थानीय संसाधनों से ग्रीन पैकेजिंग तैयार करने पर बल दिया गया। बांस, पत्ते, कागज और अन्य प्राकृतिक सामग्री से बने पैकेजिंग उत्पादों को बाजार में बढ़ती मांग के अनुरूप तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
रोजगार का मजबूत माध्यम बनेगी ग्रीन पैकेजिंग
जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन ने कहा कि ग्रीन पैकेजिंग बस्तर के लिए रोजगार सृजन का मजबूत माध्यम बन सकती है। उन्होंने बताया कि यदि स्थानीय उद्यमी इस क्षेत्र में आगे आते हैं, तो बस्तर को न केवल राज्य बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पहचान मिल सकती है।
सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी
जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारियों ने उद्यमियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और सहायता कार्यक्रमों की जानकारी दी।
- एमएसएमई परफॉर्मेंस योजना से उद्यमियों को तकनीकी और वित्तीय मजबूती मिलेगी।
- डिजिटल मार्केटिंग और निर्यात प्रशिक्षण पर विशेष फोकस किया गया, ताकि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जा सके।
समस्याओं और समाधान पर भी चर्चा
कार्यशाला में उद्यमियों ने विलंबित भुगतान जैसी व्यावहारिक समस्याएं रखीं, जिनके समाधान पर अधिकारियों और विशेषज्ञों ने चर्चा की। बाजार की बदलती मांग, उपभोक्ताओं की पसंद और पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता पर भी प्रकाश डाला गया।
इको-फ्रेंडली तकनीक अपनाने की प्रतिबद्धता
कार्यशाला के दौरान उद्यमियों में खासा उत्साह देखने को मिला। कई उद्यमियों ने इको-फ्रेंडली तकनीक अपनाने और ग्रीन पैकेजिंग के क्षेत्र में काम शुरू करने की प्रतिबद्धता जताई।
कुल मिलाकर, यह कार्यशाला बस्तर के उद्योग और उद्यमिता को नई दिशा देने वाली पहल साबित हो सकती है, जो न सिर्फ रोजगार बढ़ाएगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ बस्तर को नए बाजारों से भी जोड़ेगी।
