आस्था l , 20 अक्टूबर को करवा चौथ है। यह व्रत हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि एवं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो करवा चौथ पर भद्रा का साया पड़ने वाला है। भद्रा के दौरान शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके लिए व्रती को भद्रा का समय का ध्यान रखना आवश्यक है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।करवा चौथ के दिन प्रातः काल 06 बजकर 25 मिनट से लेकर 06 बजकर 46 मिनट तक भद्रा का संयोग है।करवा चौथ पर 21 मिनट तक भद्रा योग है। इस समय में व्रत से संबंधित कोई कार्य न करें। इसके साथ ही सरगी सूर्योदय से पूर्व कर लें।
करवा चौथ के दिन पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 07 बजकर 02 मिनट तक है। वहीं, चंद्र दर्शन का शुभ समय संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर है। इस समय में चंद्र देव को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं जल ग्रहण कर सकती हैं।