A, B, C, D की साधारण ताल के बजाय हमें QWERTY जैसा पैटर्न क्यों मिलता है? कंप्यूटर या लैपटॉप के कीबोर्ड पर अक्षर इस तरह क्यों होते है.कीबोर्ड की QWERTY डिजाइन की जड़ें टाइपराइटर के आविष्कार से जुड़ी हैं, जो 19वीं शताब्दी में हुआ था. टाइपराइटर का पहला सफल मॉडल क्रिस्टोफर लैथम शोल्स (Christopher Latham Sholes) ने 1868 में बनाया था. हालांकि, शुरुआत में इसका डिजाइन सिंपल था और इसमें अक्षरों को A से Z तक क्रम में सजाया गया था. लेकिन जल्द ही एक बड़ी समस्या सामने आई. जब लोग तेजी से टाइप करते थे, तो टाइपराइटर की कीज़ (Keys) अक्सर आपस में टकरा जाती थीं और मशीन अटक जाती थी.
समस्या को हल करने के लिए शोल्स और उनके साथियों ने QWERTY कीबोर्ड का आविष्कार किया. इस डिज़ाइन का उद्देश्य था कि कीज़ की ऐसी सेटिंग बनाई जाए, जिससे टाइपिंग की स्पीड बेशक थोड़ी धीमी हो, लेकिन कीज़ आपस में टकराएं नहीं. इसी विचार के साथ अक्षरों को इस तरह से सजाया गया कि टाइपिस्ट जब टाइप करें तो उन्हें दिक्कत न हो. इस कीबोर्ड को QWERTY नाम दिया गया, ऊपरी लाइन में पहले 6 अक्षय Q, W, E, R, T, Y हैं.
टाइपराइटर के शुरुआती मॉडलों में सबसे सफल रेमिंगटन (Remington) कंपनी का टाइपराइटर था, जिसने QWERTY लेआउट को अपनाया. चूंकि रेमिंगटन उस समय की प्रमुख टाइपराइटर निर्माता कंपनी थी, इस वजह से धीरे-धीरे QWERTY लेआउट का नया मानक बन गया. इसके बाद जब कंप्यूटर कीबोर्ड का आविष्कार हुआ, तब भी इसी डिज़ाइन को अपनाया गया, क्योंकि लोग इससे पहले से परिचित थे.