‘टाइगर स्टेट’ के बाघों की दहाड़ अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी सुनाई देने वाली है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश से 15 बाघों को इन तीन राज्यों में भेजने का निर्देश दिया है. आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार से अनुमति लेने के बाद 12 बाघिन और तीन बाघों को तीन राज्यों को सौंप दिया जाएगा. बाघों को इन राज्यों में भेजने की प्रक्रिया के लिए कोई समय अवधि तय नहीं की गई है. लेकिन, जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा.
सरकार की इस प्रक्रिया के तहत, बाघों को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व से स्थानांतरित किया जाएगा. इसमें छह बाघिन और दो बाघों को छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा, जबकि राजस्थान को चार बाघिन दी जाएंगी. इसके अलावा, एक बाघ और दो बाघिनों को ओडिशा भेजा जाएगा. मुख्यमंत्री यादव ने निर्देश दिया है कि बाघों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया एक अधिकृत पशु चिकित्सक की देखरेख में की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस प्रक्रिया के दौरान बाघों को कोई खतरा न हो. बाघों को स्थानांतरित करने के लिए जो परिवहन लागत आएगी वह संबंधित राज्य वहन करेंगे.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे अधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं. इसके बाद कर्नाटक में 563 और उत्तराखंड में 560 बाघ हैं.
मध्य प्रदेश सरकार बाघों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रही है. सरकार ने हाल ही में रातापानी वन को राज्य के आठवें बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया है. एनटीसीए ने राज्य में नौ बाघ अभयारण्यों को मंजूरी दी है. राज्य सरकार ने अभी तक माधव राष्ट्रीय उद्यान को बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित नहीं किया है. जारी आदेश में कहा गया है कि बाघ देने की सैद्धांतिक प्रक्रिया में बाघ एवं बाघिन को ट्रांसलोकेट करने की कार्यवाही अधिकृत पशु चिकित्सक की देखरेख में की जाये. बाघों के जीवन को किसी प्रकार का खतरा न हो, इसका ध्यान रखा जाये.