बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में 1 फीसदी से अधिक की गिरावट देखने को मिली. इसी कारन इससप्ताह की शुरुआत भी भारी दबाव के साथ की. गिरावट के पीछे पांच अहम कारण हैं. अमेरिकी जॉब डेटा उम्मीद से बेहतर आने के कारण फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम हो गई हैं. इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, रुपये की कमजोरी, और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली ने बाजार पर प्रेशर को और भी बढ़ा दिया है.
मेरिकी इम्प्लॉयमेंट डेटा शुक्रवार को वैश्विक बाजारों को झटका दिया. दिसंबर में अमेरिका की बेरोजगारी दर घटकर 4.1 फीसदी हो गई, जबकि नौकरियों में अच्छी वृद्धि हुई है. यह डेटा दर्शाता है कि अमेरिकी श्रम बाजार अब भी मजबूत है. इसका मतलब है कि फेडरल रिजर्व द्वारा जल्द ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना कम है, जिससे तरलता (Liquidity) पर असर पड़ा है. भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है.“अमेरिकी रोजगार डेटा ने यह संकेत दिया है कि फेड द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें अब काफी कम हो गई हैं. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजारों में बिकवाली जारी रहेगी.”