मध्य प्रदेश l गरीबी से बुरा हाल पति की हत्या पत्नी को मिली सहायता राशि पर दबंगों ने समूह में जोड़ने के नाम पर साफ कर लिया हाथ न्याय के लिए दर-दर भटक रही महिला।

सरकार कहती है कि आदिवासियों के साथ खड़ी है वो भी कंधे से कंधा मिलाकर लेकिन सीधी में सरेआम एक गरीब बेसहारा आदिवासी महिला के साथ जुल्म किया जा रहा है।
जिसके पति कि हत्या कर दी गई उसका हक छीन लिया गया जो न्याय के लिए दर दर भटक रही है,देखिए एक विधवा की कहानी जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगी की आखिर न्याय कहां खो कर रह गया।

ऐसा कहा जाता है कि ताकतवर कमजोर को दवा देता है ठीक इसी प्रकार यहां भी चरितार्थ हो रही है ऐसी ही एक कहानी इस आदिवासी विधवा महिला कि भी है
पहले तो इसके पति की हत्या कर दी गई इसके बाद भी मुसीबतें पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है।

चार बच्चों कि इस मां को न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही है,इनके पति कि हत्या हुए एक साल बीत गया है लेकिन अभी भी इनके जख्म ताजा है,दूसरी तरफ सरकार ने इन्हें मुआवजे का मरहम तो लगा दिया है लेकिन उसे सुरक्षित रखने में चूक गई।
मामला मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक छोटे से गांव खोहा का है।जहां की छोटे से गांव खोहा की रहने वाली रामरति के पति की मौत के बाद अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए कोयला याड में मजदूरी करती है।

उनके पती की 1 साल पहले गांव कुछ दबंगों ने हत्या कि थी इसके साथ बाद सरकार ने रामरति को चार लाख ₹12000 की मुआवजा राशि भी दी जिससे यह महिला अपने बच्चों का पालन पोषण एवं अपना गुर्जर पसर कर सके,
लेकिन जिनके घर महिला वर्षों से काम किया करती थी उन्ही दबंगों ने मुआवजे के पैसों पर अपना हाथ साफ कर लिया,बेवा महिला के चार बच्चे हैं जिसमें एक बच्चा मूक बधिर है।
जिंदगी का अन्याय देखिए जिन बच्चों के हाथ में कागज और कलम होनी थी वह बच्चे आज दो वक्त की रोटी के लिए गाय भैंस बकरी चराने एवं मजदूरी करने के लिए मजबूर है और शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।