छत्तीसगढ़ कांग्रेस की,पॉलिटकल अफेयर कमेटी की बैठक में आज ऐसा कुछ हुआ, जिसने यह जता दिया कि विपक्ष में रहते हुए भी पार्टी भीतर से दो ध्रुवों में बंटी दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर सवाल पूछते हुए माहौल गर्मा दिया|

बैठक में मौजूद रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट की उपस्थिति में सवाल न सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री की नाराजगी को उजागर करता है, बल्कि विपक्ष के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान को भी सामने लाता है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव के बीच पिछले कुछ समय से सरगुजा बेल्ट में दिखाई दे रही राजनीतिक केमिस्ट्री ने भूपेश बघेल को खलल पैदा किया है। महंत द्वारा पहले यह कह देना कि “अगला चुनाव टीएस बाबा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा”, भूपेश को रास नहीं आया।
PAC बैठक में भूपेश ने खुलकर कहा—
“नेता प्रतिपक्ष के नाते महंत को मौजूदा सरकार पर आक्रामक रहना चाहिए, लेकिन वे चुप क्यों हैं?”
सिर्फ महंत ही नहीं, पूरी कांग्रेस को भी लताड़
भूपेश यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि संगठन में अनुशासनहीनता चरम पर है। “कोई भी किसी के खिलाफ बयान देता है और कोई कार्रवाई नहीं होती। यह कैसे चलेगा?” उन्होंने यह भी बताया कि राजनांदगांव में उनके खिलाफ बयान देने वाले नेता पर भी कार्रवाई नहींहुई। इस बयान को सीनियर नेताओं की कार्यशैली और नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है।
सचिन पायलट की सलाह और संकेत
बैठक में सचिन पायलट ने भी अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के भीतर एकजुटता पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार की विफलताओं पर हमले तेज करने की बात कही और कहा कि: – “रायपुर का नियंत्रण कम होता दिख रहा है। दिल्ली से मैनेजमेंट हो रहा है।”