कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस सत्र को एक ‘जनहित लड़ाई’ का मंच बना रहे हैं और वे जिन मुद्दों को लेकर सरकार पर हमला बोलने वाले हैं, वे सीधे आम जनता की जीवनशैली, अधिकार और जरूरतों से जुड़े हैं।
यहाँ बताया गया है कि विपक्षी कांग्रेस कैसे और किन मुद्दों पर सरकार पर दबाव बना रही है:

🔹 1. डीएपी खाद की भारी कमी
- कांग्रेस का आरोप है कि राज्य के किसान कृषि सीजन के मध्य में उर्वरक संकट से जूझ रहे हैं।
- भूपेश बघेल ने बयान में कहा कि: “बीजेपी सरकार की नीतिगत असफलता के कारण खाद वितरण बाधित हुआ है। किसान लाइन में लग रहे हैं, फसलें सूख रही हैं।”
- विधानसभा के अंदर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया जा सकता है।
🔹 2. बिजली दरों में वृद्धि
- घरेलू उपभोक्ताओं, किसान पंप कनेक्शन और छोटे व्यापारियों पर बिजली दरों में 5–8% बढ़ोतरी लागू की गई है।
- कांग्रेस इसे जनविरोधी और गरीब विरोधी निर्णय मान रही है।
- पूर्व मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा: “बिजली राज्य में सस्ती होनी चाहिए थी, लेकिन भाजपा सरकार कॉर्पोरेट कंपनियों को लाभ पहुँचा रही है।”
🔹 3. कानून-व्यवस्था का मुद्दा
- हाल ही में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, हत्या-लूट की घटनाएँ, और पुलिस तंत्र की निष्क्रियता पर कांग्रेस लगातार सवाल उठा रही है।
- नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि: “राज्य की जनता असुरक्षित महसूस कर रही है, और यह सत्र जनता की आवाज़ बनकर गूंजेगा।”
🔹 4. महिला स्वयं सहायता समूहों की उपेक्षा
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि:
- मिड-डे मील, पोषण आहार, और साफ-सफाई संबंधित कार्यों में लगे महिला समूहों को महीनों से भुगतान नहीं हुआ।
- उन्हें नियमित अनुबंध और आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल रही है।
- कांग्रेस इस मुद्दे को सदन में उठाकर सरकार से जवाब की माँग करेगी।
🔹 5. आरक्षण बिलों को लेकर आंदोलन
- कांग्रेस 2022 में पारित आरक्षण बढ़ाने वाले बिलों को लागू न करने को लेकर राज्यपाल और भाजपा सरकार को जिम्मेदार मान रही है।
- भूपेश बघेल ने कहा: “आरक्षण संविधान से मिला हक है, सरकार इसे छीन नहीं सकती। अगर बिल लागू नहीं होते, तो हम सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे।”
🔸 कांग्रेस की रणनीति इस सत्र में:
संसदीय तरीका | रणनीति |
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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव | सभी प्रमुख मुद्दों पर |
वाकआउट और विरोध | अगर उत्तर अस्वीकार्य हुआ |
प्रेस कॉन्फ्रेंस | जनता को जानकारी देने के लिए |
जनसंपर्क अभियान | सत्र के बाद जिलों में जनता के बीच जाकर प्रदर्शन |
🔸 आम जनता की भागीदारी:
- किसानों, महिला समूहों, छात्रों और बिजली उपभोक्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है।
- कांग्रेस जनता के इन मुद्दों को लेकर धरना, प्रदर्शन और सोशल मीडिया अभियान भी शुरू कर सकती है।
- संभावना है कि कुछ जन संगठनों के प्रतिनिधि सत्र के दौरान रायपुर में प्रदर्शन करें।
🧠 निष्कर्ष:
विधानसभा मानसून सत्र में कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। यह सिर्फ एक संसदीय सत्र नहीं, बल्कि भाजपा बनाम कांग्रेस की नीतियों की सीधी टक्कर है, जहाँ जनता की मूलभूत समस्याएँ बहस का केंद्र बन रही हैं।