- पुलिस ने बताया कि बीजापुर में दो शिक्षकों की हत्या की आशंका माओवादी गतिविधियों से संबंधित है। अभी तक उनके शव बरामद नहीं हुए हैं, तलाश जारी है
घटना का स्थान, समय व पहचान
- घटना 14–15 जुलाई 2025 की रात में बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क, Farsegarh पुलिस थाना क्षेत्र में हुई। यह इलाका अत्यधिक दुर्गम और माओवादी प्रभावित क्षेत्र है।
- मृतकों की पहचान शिक्षा दूत (Shiksha Doot) के रूप में हुई — जिनमें प्रमुख हैं:
- विनोद मेड (Vinod Made) — 28 वर्ष, Pillur गाँव, Kondapadgu स्कूल से सम्बद्ध
- सुरेश मेटा (Suresh Meta/Metta) — 29 वर्ष, Tekameta गाँव, उसी क्षेत्र का शिक्षा दूत
🕵️♂️ किसने किया दावा और क्यों?
- पुलिस का प्रारंभिक दावा है कि माओवादी संदिग्धों ने इन शिक्षकों को “पुलिस-संबंधित सूचनाकर्ता” मानते हुए गोली मार दी, हालांकि माओवादी संगठन ने अभी तक आधिकारिक रूप से जिम्मेदारी नहीं ली और कोई घोषणा-पत्र नहीं छोड़ा गया ।
- स्थानीय सूत्रों का कहना है कि दो शिक्षकों को घर से अगवा कर जंगलों में ले जाकर पूछताछ के बाद हत्या की गई; घटनास्थल पर कुछ जगह Pamphlets पड़े मिले जिसमें इसी बात का उल्लेख था ।
🔍 पुलिस कार्यवाही व जांच
- पुलिस और स्थानीय सुरक्षा बल (DRG, STF और स्थानीय थाने) ने जांच अभियान शुरू कर दिया है।
- जंगल की दुर्गमता और जमता हुआ इलाका अभी तक शवों का पुनः प्राप्त होना नहीं हुआ है, जिसके लिए मौके पर काट-पत्थर समूह द्वारा तलाश जारी है ।
- IG Sunderraj P ने पुष्टि की कि शवों की खोज जारी है और शुरुआती जानकारी यही है कि माओवादी पूछताछ के बाद हत्या को अंजाम दे सकते हैं।
⚠️ संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
- बीजापुर और आसपास के Bastar क्षेत्र में पिछले महीनों में शांतिपूर्ण ग्रामीणों, शिक्षा दूतों और छात्रों के खिलाफ हत्या की घटनाएँ बढ़ी हैं। इसी महीने यहां छह अन्य संदिग्ध ‘सूचना देने वालों के रूप में’ मारे गए थे।
- इस वर्ष अब तक माओवादी हिंसा में लगभग 25 नागरिकों की जान गई, जिसमें ये दो शिक्षक शामिल हैं—एक गंभीर चेतावनी बनी हुई है कि गैर-सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग भी निशाने पर हैं ।
⏭️ आगे की प्राथमिकताएँ
- शव बरामद हेतु तलाश जारी – पुलिस ने जमीनी स्तर पर व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है।
- गवाह और स्थानीय बयान – गांव वालों से पूछताछ की जा रही है, ताकि अगवा करने और हत्या की घटना के समय‑सीमा की स्पष्टता आए।
- माओवादी-प्रकाशन जांच – यदि संगठन ने कोई घोषणा-पत्र छोड़ा हो, तो उसके आधार पर घटना का संबंध संगठन से प्रत्यक्ष साबित हो सकेगा।

📝 निष्कर्ष
- इस हत्या की घटना से स्पष्ट हो रहा है कि माओवादी संगठन सूचना देने वाली भूमिका निभाने वालों को भी वे निशाने पर लेते हैं, और ‘पुनर्जीवित शिक्षा व्यवस्था’ को बाधा पहुंचाते हैं।
- सरकार की ओर से सुरक्षा बलों को अलर्ट किया गया है, साथ ही शिक्षा दूतों को भी सघन सुरक्षा के निर्देश दिए गए हैं।