मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल में व्याप्त भ्रष्टाचार और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर एनएसयूआई ने चिंता जताई है। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि नर्सिंग काउंसिल में नर्सिंग घोटाले के मुकदमों की पैरवी के नाम पर करोड़ों रुपये अधिवक्ताओं को मनमाने तरीके से भुगतान कर दिए गए, लेकिन वहीं काउंसिल में कार्यरत 30 से अधिक कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्यालय के मेंटेनेंस की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कार्यालय बहुत ही बदहाल स्थिति में हैं कर्मचारी जानलेवा फाल सीलिंग के नीचे बेठ कर काम करने को मजबूर हैं जोकि कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारक हो सकती है ।

नर्सिंग काउंसिल राजधानी भोपाल के गोमंतिका परिसर के तृतीय तल पर संचालित है जहां की छत के की फालसिलिंग कई महीनों से टूटी हुई और बचीं हुए फालसिलिंग की भी हालात जर्जर हो रहीं किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता। हर दिन हजारों छात्र-छात्राएं रजिस्ट्रेशन, मार्कशीट, माइग्रेशन, एनओसी जैसे कार्यों के लिए काउंसिल के चक्कर लगाते हैं। बावजूद इसके यहां की व्यवस्थाएं बदहाल हैं। रजिस्ट्रार के.के. रावत जो कि प्रशासनिक अधिकारी हैं, उनके कार्यकाल में यह स्थिति और भी खराब हुई है। रावत साहब को कर्मचारियों और छात्राओं की सुरक्षा से ज्यादा रुचि विभाग से भ्रष्ट अधिकारियों को खोजना और उन्हें नर्सिंग काउंसिल में पदस्थ कर उनके माध्यम से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों से उगाही कराने में है। NSUI जिलाध्यक्ष अक्षय तोमर ने आरोप लगाया कि नर्सिंग काउंसिल के अकाउंट सेक्शन में बैठे लेखापाल राहुल सक्सेना मनमर्जी से अधिवक्ताओं को मोटी रकम और फर्जी बिलों का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन कार्यालय के मेंटेनेंस के लिए इनके पास कोई फंड नहीं होता। राहुल सक्सेना के खिलाफ महिला अपराध में टीटी नगर थाने में एफआईआर दर्ज है, और मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बावजूद उन्हें नर्सिंग काउंसिल जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर बैठाए रखा गया है, जबकि यहां 60 प्रतिशत से अधिक महिला कर्मचारी कार्यरत हैं और प्रतिदिन हजारों छात्राएं आती हैं। चेतावनी दी है कि यदि भ्रष्ट लेखापाल राहुल सक्सेना को तत्काल हटाया नहीं गया और नर्सिंग काउंसिल में कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा एवं कार्यालय के मेंटेनेंस का कार्य शुरू नहीं कराया गया, तो एनएसयूआई उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी।