बिलासपुर,
स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। छत्तीसगढ़ निधि संपरीक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई 2014-15 से 2018-19 तक की ऑडिट रिपोर्ट में कोटा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में संचालित जीवनदीप समितियों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है।

ऑडिट रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- कुल वित्तीय अनियमितता: लगभग ₹1.45 करोड़।
- वसूली योग्य राशि: ₹12.26 लाख चिन्हित।
- जांच का वर्ष: 2020 में यह जांच छत्तीसगढ़ निधि संपरीक्षा विभाग ने की थी।
- कार्रवाई की स्थिति: CMHO बिलासपुर ने संबंधित BMO को वसूली के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उजागर हुए गंभीर प्रकरण
- कोविड-19 टीकाकरण प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी:
- ₹31 लाख की अनियमितता चिन्हित।
- निजी एंबुलेंस का संचालन:
- बिना अनुमति निजी एंबुलेंस से मरीजों को भेजा गया, जबकि 108 और विधायक प्रदत्त एंबुलेंस उपलब्ध थीं।
- नियम विरुद्ध नियुक्तियाँ:
- नियमों के विपरीत पद सृजन कर नियुक्तियाँ की गईं।
- सरकारी दवाइयों का दुरुपयोग:
- अस्पताल की दवाइयों का निजी क्लिनिक में उपयोग किया गया।
- जीवनदीप समितियों की गड़बड़ियाँ:
- फंड का गलत उपयोग और वित्तीय पारदर्शिता का अभाव।
मामले की वर्तमान स्थिति
- रिपोर्ट के आधार पर वसूली के आदेश जारी हुए, लेकिन 5 साल बाद भी न तो वसूली हुई और न ही दोषियों पर कार्रवाई।
- यह मामला विभागीय लापरवाही और उच्चस्तरीय संलिप्तता की ओर इशारा करता है।
क्यों गंभीर है यह मामला?
- यह गड़बड़ी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित फंड में की गई।
- कोविड-19 प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी महामारी के दौरान हुए भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।
- दवाइयों का निजी उपयोग गरीब मरीजों के अधिकारों का हनन है।